Book Title: Hamir Raso
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 8
________________ प्रतियां अन्यत्र भी हैं"। भाषा डिंगल से प्रभावित राजस्थानी है। इस कृति की कुछ उल्लेख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं (१) महिमासाहि को अलाउद्दीन की किसी बेगम से अनुचित सम्बन्ध के कारण निकाला जाता है । गाभरू बादशाह की सेवा में रहता है। (२) छाणगढ़ का रणधीर हम्मीर की सहायता करता है। इसलिए रणथम्भोर को लेने से पहले बादशाह छाणगढ़ लेता है। (३) नर्तकी को गाभरू गिराता है । (४) सुर्जन कोठारी के मिल.जाने से अलाउद्दीन को ज्ञात होता है कि दुर्ग में धान्य नहीं हैं। (५) बादशाह सेतुबन्ध जाकर भगवान शिव का पूजन कर समुद्र में कूद कर अपने प्राणों का त्याग करता है। "इस कथा में कल्पना अधिक और ऐतिहासिक तथ्य कम हैं।" हम्मीर सम्बन्धी प्रकाशित रचनाओं में नागरी प्रचारिणी सभा से कवि जोधराज कृत 'हम्मीर रासो' और चन्द्र शेखर कृत, 'हम्मीर हठ' ये दो काव्य काफी पहले प्रकाशित हुए थे। उनके सम्बन्ध में डा. दशरथ शर्मा ने संक्षेप में किन्तु, तथ्यपूर्ण ज्ञातव्य इस प्रकार दिया है "जोधराज कृत 'हम्मीर रासो' प्रकाशित रचना है। इसके बारे में इतना ही कहना पर्याप्त है कि यह प्रायः महेश के हम्मीर रासो' का रूपान्तर है । इसी प्रकार चन्द्रशेखर वाजपेयी का 'हम्मीर हठ' भी प्रकाशित है । इतिहास की दृष्टि से इसका महत्व भी विशेष नहीं है। ग्वाल कवि का 'हम्मीर हठ' सं. १८८३ की कृति है। यह चन्द्रशेखर के 'हम्मीर हठ' से बहुत कुछ मिलती-जुलती है।" डा. दशरथ शर्मा ने जोधराजकृत 'हम्मीर रासो'को "प्रायः महेश के हम्मीररासो' का रूपान्तर है" लिखा था, इस सम्बन्ध में श्री मूलचन्द्र 'प्राणेश' का एक विस्तृत लेख नागरी प्रचारिणी पत्रिका वर्ष ६६ अंक ३ में प्रकाशित हो चुका है। उस लेख का शीर्षक है "जोधराज हम्मीर रासो के रचयिता या परिष्कारक ?" इस लेख में कवि जोधराज ने 'महेश रासो' के अनेक पद्य ज्यों के त्यों या रूपान्तर के साथ ले लिये हैं । यह बतलाते हुए अन्त में लिखा है कि "इस प्रकार जोधराज ने अन्य भी कई स्थानों में भावों का विशदीकरण किया है। फलस्वरूप महेश कृत ३२४ छन्दों के 'रासो' का कलेवर बढ़ाकर ६६६ छन्दों का कर दिया है । रासो संज्ञक काव्यों के काव्य-विस्तार का सबसे अच्छा नमूना इस रचना में उपलब्ध है । 'हम्मीर रासो' की एक शती की अवधि में यदि इतना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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