Book Title: Hamir Raso
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 67
________________ 54 : हमीररासो . - बजत नीसांन असमांन गरजै । बहत इम सार जिम' नीर बरखे ॥ जहां गुनी गुन राग छत्तीस गावै । वरमाल ले अपछरा बरन पावै ।।२५५।। सुर अमीर लरि पहमि परिय३ । जहां दंत सौं दंत गजराज जूरिये ।। यौं साहि हमीर सफ्रजंग खेले । पतिसाहि अबदाल' के मीर पेल ॥२५६॥ जब कहत वाहि (द)अलि' हुकम पाऊ। राव गहि साहि के कदमौं लाऊ७ ॥ देस रनथंभगढ़ उतन पाऊँ । गलै डारि कंबान हमीर लाऊ ॥२५७।। साहि स्याबासि दे हुकम करिये । तब कोपि अबदाल के मीर खड़िये ।। पड़त रण' मीर धड़ सीस टूटै । जहां खप्पर भरि जोगनि. रुधिर भखै ॥२५८।। सीस बिन सुर लरै रक्त भीनै । स्याबासि स्याबासि पतिसाहि कीनै ।। जहां बीस दस तीस गजराज खिसिये। खट सहंस सूर सुरलोक बसिये २।२५६।। यौं साहि हमीर सफ्रजंग जुड़िये । सहंस दल दून' अबदाल के मीर पड़ियै ।। जब१४ कोपि हमीर के बर संभारे । अमीर१५ बाहिदअली पुहमि पारे ।।२६०॥ सार हमीर गहि छत्र तोरै १६ । जब नवनि करि सेख कर दोय जोरै ।। हमीर की प्रान दे बचन टेरै । अब देखिये राव सफजंग मेरै ॥२६१ ।। दोहा खड़ा सेख दोऊ दलन, बिचि सिर हमीर कौं नाय । अक किन८ गहो अलावदी मैं खूनी महिमासाहि ।।२६२।। बचनिका जब पातिसाहि जमीयत खुरसांन की महिमासाहि पै पेलता है। [बहौरि. बचन पातिसाहि सदकी सौं कहता है१६] महिमासाहि कुटन कौं जीवता परि लावै२०ताकौं बारा हजारी का मुनसब२१ देता हौं । येक महिनासाहि के वास्ते । १ ख. जाण । २ ख.ग. मोर। ३ ख. पाई। ४ ख. पक्तांश नहीं है। ५ ग. अबदल । ६ ख. कहै चंदअली, घ. अबल्लि । ७ ग लगाऊ। ८ ग. कमांन। ९ ख. कीन्हौं। १० ख. धड़। ११ ख. खिसाये । १२ ख. पधारे। १३ ग. दुनि । १४ ख जब कोपि हमीर भड़ फिर संमार । १५ ख. मीर हमीर महम्मद प्रोलियो। १६ ख. उतारै १७ घ. हमारे । १८ ख. क्यौं न । १९ केवल (ग घ.) में । २० क. लेहू, घ. लावो २१ ग.घ. मुरातन । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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