Book Title: Hamir Raso
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 71
________________ 58 : हमीररासो - अपना उतन उजालि', दोऊ कूल कलस चढायो । मुख कुरांन पढ़ि दोऊ, सीस साहिब कौं नायो ।। हजरति राव हमीर कौं, सेखन कियो जुहार । अपने अपने इसट पै, गही दोऊन कर सार ॥२७८।। दोहा मुसलमान हिंदवान कौं, चले सेख सिर नाय । चढ़ि विवान दोऊ हुरम भवरि५, भिसति पहौंचे जाय । २५६।। बनिका प्रब अलादीन पतिसाहि राव हमीर सौं कहता है दोहा अब लोहा मति करो, हजरति तुहि हमीर ॥ अब मति सार संभाहियो, तुझे माफ तकसीर ।। २८०॥ कंडलिया तुझे माफ तकसीर, राज रणथंभ करावो । और परगने [पांच लेहु. बहौरि तुम उलटै जावो ।। राम रहीम हमीर यक, ये दो कबहू' न जानिये । बहोरि मुहिम करौं नहीं, मुझि तुझि बीचि कुरान ये ।।२८१।। १ ख.ग.घ. उजारियो। २ ख. करि, घ. नै कहिया । ३ ग. परि । ४ ख नवाय । ५ ख. अपछर वरि, ग. उरवसी वरि। ६ ग. कहै। ७ यह पद्यांश मूल प्रति (क) में नहीं है। ८ ग. कबहू नहीं दो जानि। ९ ग. तुमि बीच कुरान । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org


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