Book Title: Hamir Raso
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 87
________________ ( ७४ ) ४. प्रति संख्या (घ) पाठ-भेद यह प्रति पत्रांक ७ से प्रारम्भ होती है तथा पत्रांक ७० पर 'रासो' सम्पूर्ण होता है । पुष्पिका निम्नलिखित है श्री रामजी रासो-हमीर सम्पूर्ण लिख्यो। लिखावत रुड़मल गीदोड़ी। जांति अग्रवाल, वासी अजैवगढ़ का। वांचे सुणे ती सौं जुहार वांचज्यो। मिती सावण सुदि ६ बुधवार सं. १८२३ का [संवत् को काटकर १८३२ बनाने का प्रयत्न किया गया है।] दस्तकत रूड़ा गांदोड़ी का रूपचन्द का वेध [स] का भंडारे जी मधे लिखी। जाति अग्रवाल गरै गोती जनोबा। देखी तिसी लिखी। लिखवा वाला ने दोस नहीं। जीठा श्री गणेश देव की मूर्ति छ: जी। [वि. श्री अभय जैन ग्रन्थालय बीकानेर प्रति सं. ६३७ गुटका । प्राकार ६४६४ प्रत्येक पृष्ठ में ६ से ११ तक पंक्तियां । प्रत्येक पंक्ति में १४ से २१ तक अक्षर । लिपि अस्पष्ट ।] ५. प्रति संख्या (ङ) पाठ-भेद इस प्रति का पूर्व तथा अंतिम भाग खंडित है। केवल मध्य के कुछ पत्र उपलब्ध हैं। लिपि अस्पष्ट । [वि. श्री आमेर शास्त्र भण्डार, जयपुर क्रमांक १५१६; गुटका सं. ७४] Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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