Book Title: Hamir Raso
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 93
________________ वचनिका गद्यानुक्रमणिका दूत राव सौं कही हमीर पातिसाह का दूत सौं कहता है महरमखां दूत की बातें सुणि० पातिसाह महरमखां सौं कहता है। या फुरवांन पातिसाहि पै उलटा हमीर फुरवान वांचि कहता है जब राव रणधीर हमीर सौं ( जब) पातिसाह कहता है महरम खां क बंदगी करि पातिसाहि कुच० फुरवांन राव हमीर के वांची कहै पातिसाहि उजीर सौं ११ ११ रवांन हमीर के दूत ले दिली चालै ५ महरम खां पतिसाह सौं २७ जब हमीर रनधीर सौं २५ २८ तब राव रणधीर हमीर सों कही पीरों के नाम २६ ३२ ३६ ४१ ४१ महिमासाहि राव हमीर सौं कहता है जब महरम खां उजीर० वचन तीन सुरजन राव Jain Educationa International ५ १० १० १० ४२ ४४ ४४ ४५ ४६ जब राव हमीर (नै) कही हमीर राव यम ऊचरै येती बात राव हमीर महिमा साहि ये फुरवांन पातिसाहि० राव हमीर सौं चतरंग कहता हैराव का हाथी पांच से ऊर जोधा जब पातिसाहि जमीवत खुरसान राव हमीर महिमासाहि के तांई समभावता है। अब अलादीन पतिसाहि राव हमीर जब राव हमीर पातिसाहि सौं जैन सिकंदर साहि जुध भोज भील राव हमीर सौं पातिसाहि सिकंदरि पासि श्राया जब पातिसाहि राव हमीर सौं जब सूरिवां राव हमीर सौं तब राव सूरिवां नै सीख दीनी तब राव सुरजन सौं गणेस देवता राव की प्रस्तुति करता राव हमीर कहता है पातिसाहि सेती For Personal and Private Use Only ४७ ४५ ४८ ૪૨ ५१ ५३ ५४ ५५ ५८ ५६ ६१ ६१ ६३ ६४ ६६ ६६ ६७ ६६ ७० www.jainelibrary.org

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