Book Title: Hamir Raso
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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52 इमीररासो
छंद
[ब] सुनत बचन ये सेख, भवन ग्रपने कौं धाये । कुटंब सेख सब खेस, करद' ले प्रदलि पठाये ॥ बहोरि बचन कहै रावसों, भरि दोऊ लोचन नीर । सुख-संपति रणथंभगढ, २ तजिये बेगि हमीर || २४५ ||
मुर-नर कायर-सूर सदा, कौऊ थिर न रहाये । जिती बार लियो जनम, काल जेती बर खाये || बहौ जीवन कौं जुग कहै, मरन कहत नहीं कोय । सती सूर सा पुरखि के, मरतहिं मंगळ होय || २४६ ॥
केसरि सौंध राव, सूर सांवत चरचाये । अलादीन पतिसाहि, बहौरि फिरि फिरि कब श्रावै ॥ सहस उतन दान करि, जब जब सिर बांधै मौर । चतरंग राव अरु रतनसी, ये भेजे चित्तौर ॥२४७॥
प्रथम सूर दस सहंस, खेत ररणथंभ खिसाये । पांच सहस दे सगि, कंवर चतरंग चलाये || पांच सहंस ररणथंभ रखि, असी सहंस लिये संगि४ । चढ़िये राव हमीर अब, जुड़न साहि सौं जंग ॥ २४८ ॥
कमधज कूरम गौड़ तुवर, पड़िहार भील भोज । पौलीच वंस पुंडीर, और चौहान सूर सब || छत्तीस (३६) वंस छत्री चढ़ें, मनु पावस बादल छये । दल देखि राव हमीर कौं, साहि जिय अचरज भये ॥ २४६ ॥
१ म
कर वली दिली पठाये। २ घ. की।
४ ख. लार । ५ ख. भोज गये
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३ ग.ध. गऊ नर, ख. गऊ करि ।
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