Book Title: Hamir Raso
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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हमीररासो : 51
धनि पतिबरता नारि, रात्र मृखि अाप सराहै । और कौन तुझि बिनां त्रिया, मुझि बचन सुनावै ।। सरन राखि' सेखन तजौं, तो कुल लाजै चौहान । तुम साको गढ़ कीजियो, निरखि साहि निसांन ॥२४१।।
सुनि रानी ये बचन, परी जमीं मुरझाय । निठर बचन कहै राव, तजै रनवास रिसाय ॥ हम पतिबरता पुरख बिनि, अब कौन दिसि चित धरै । प्रासा कहै हमीर सौं, तुम पहलै साको करै ।।२४।। जब करले* नीर हमीर, उदकि' भंडारज कीनै । बंदी जन धन विप्र लेहु, जा पै जाय जो लीन्है ।। छाडि अबै' हमीर सब, भवन त्रिया गढ़ ग्राम । सुख संपति रणथंभ गढ़, नहीं हमीर के काम ॥२४३।।
ये सूनि रानि के बचन, राव मत बढत सवाये । बैठे सभा हमीर, सूर सब हाजरि आये ॥ जब हंसि हमीर यप ऊचरै, सुनि राव चतरंग । तुम्है सरम अब रतन की, हम करै साहि सौं जंग ॥२४४।।
बचनिका
राब हमीर मौं चतरंग कहता है- तुम कौं छांडि चीत्तौड़ न जाऊ । राव हमीर ने कही- रगतभंवर की प्रजा गढ़ चीत्तौड़ में समाहैगी तब राव चतरंग रतनसी कुवर कौं ले चीत्तौड़ कौं चलै । डेरा पाल्हरणपुर जाय किया।
१ ख. सराही घ. सिरावै। २ ख. राखि सेख यूं . ग. राखिजे सेख दें, घ. राखि प्रर सेख द्यौं । ३ घ. कौं प्र.पा. । ४ ग सुनै राव के । * घ. जब करनी रहै । ५ ख.ग घ माल, ख. भंडारन दीन्हा । ६ ग. सबै । ७ ग. अब । ८ ख. बौहो । ६ ग.घ. चढत । १० ग. समागी। ११ घ. दीया ।
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