Book Title: Hamir Raso
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 62
________________ हमीररासो। 49 लिखे राव फुरवांन, साहि नीके फुरमाई । अब दिली के तखत, साहि की फिरत दुहाई ।। चिमना बेगम च्यंतमनि, पायक च्यारौं पीर । दे भेजियो अलावदी, मांगत राव हनीर ।।२३०।। बचनिका ये फरवांन पातिसाहि हमीर के वांचि करि, सुरजन सौं खिजाय कहो-- कंबखत, हरामखोर बड़ा गढ़ फतै करि दिया' । छंद जब करि बदन मलीन, राव रनिवासै पायौ । हंसि राजि करि जौरि, राव कौं सीस नवायो ।। गढ़ बीत्यो सामान सब, अब भंडार कैसे भरौं । बचन छाडि प्रतिसाहि सौं, तुम कहो' सेख हाजरि करौं ।। २३१।। ये सुनि हमीर के बचन, बदन रानी बिलखाया । लड़ उभै जुग एक, अबै कोने भरमाया । करि बचन बहौरि न छांडिये, राजपाट सुख जाव' । प्रासा कहै हमीर सौं, अब साको करिये गढ़ राव ।।२३२॥ बहौरि राव सों बचन, रोस करि रानी भाख । बचन यादि वै करो, सेख सरणे जब राखै ।। कब हठ करै अलावदी, रणतभंवर गढ आय० । कब सेख सरण रहै, बहौरि महिमासाहि ॥२३३।। सूर सोच मन में करै, अमर पदवी नहीं पावै । जो हठ छांडौ राव", उतन अजमेरि लजावै ।। सरन राखि सेख न तजो, तजो सीस गढ़ देस । रानी राव हमोर सौं१२, यह दीन्हौं उपदेस ॥२३४ । १ घ. दीन्हो। २ ख. राव कहै छै प्र.पा.। ३ घ. कहो तो। ४ ख. बिल खानी । ५ ख. तजो। ६ ग.घ. नहीं है । ७ घ. बहौरि रोस करि बचन । ८ घ. राव सौं । ९ घ. यादि करो राव। १० ख. मांय । ११ ख. राज । १२ ख. कौं । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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