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हमीररातो : 4
[जब] हंसि कहै हमीर तुझि', समझि मुझि न पावै । असी कबहू नहीं होई, साहि कौं सीस नवावौं । असा बचन न भाखिये, सुनि कापुरसि कपूत । गही टेक २ जो छांडि है, वह कैसो रजबूत ॥२२२।।
बचनिका जब राव हमीर [नै]कही-जौंरा-भौंरा खास निठया । जानिये किस तरह । जब करि सलाम सुरजन कही-प्रांख्यां चलि करि देखिये । जब राव जौंरा-भौंरा खास परि आये। राव हमीर कहते हैं- अरे सुरजन, रीते' भरे की गम किस तरह परै । जब सुरजन कहता है-पथर नांखि खासों का पाख लीजै । जिनस होयगी तो खुड़का सुणैगा नहीं । खास खाली होयगा तो खुड़का सुणैगा । जब राव' खासों में पथर नखाये । जिनसि तलै रही ऊपरि चमड़े का खुड़का हुवा । जब राव हमीर की ज्यान मांही सौं'जीव निकसि गया। महिमासाहि राव११ सौं सलाम करि प्ररज करी१२ ।
(जब) कही महिमासाहि, हुकम राव जो पाऊ। मिलौं साहि कौं जाय. दिली कौं कूच कराऊ ॥ गढ कोट राज यह राखिये. ................... कर जोरि महिमा कहै'३, साहि(सौं)जंग न कीजिये ॥२२३।। (जब) हंसि के कहै हमीर, इसी कबहू नहीं होई । बचन छाडि कापुरसि, सदा न जीवै कोई ।। महिमासाहि निचित रह, अब सोच जिव मति करो१४ । मंडौं जंग पतिसाहि सौं, मारि खाग कन • कन करौं ।।२२४ ।
१ क. तुम सामज्या जननी मावे लाज, ख. मुझि समझ्यां जननी लाज, घ. तुझि समजावे जननी लाजै । २ ख. तेग। ३ घ. छांडि देय । ४ घ. खास में नाज बीतो। ५ ख. रीते भरे खास की । ६ ख.घ. इतबार । ७ ख. लीजिये । ८ ख. राव हमीर । ९ ख. नखाये खुड़का सुण्या। १० ख. रूम रूम मांहि सौं फिकर उपज्यो, घ. रूस रूम मांहि सौं जीव । ११ घ. राव हमीर। १२ ख करता है। १३ घ. पद्यांश नहीं है । १४ ख.घ. पद्यांश नहीं है ।
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