Book Title: Hamir Raso
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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• हमीररासो : 55
छंद कोपि सेख पै' साहि, मीर पेलै खुरसानी । गढ रणथंभ हमीर, इसी हजरति नहीं जानी ।। बकसे साहि अलावदी, नौबति तोग निसान । सदकी सौं हजरति कहै. सेख न पावै जान ।।२६३।। तीस सहंस खुरसान मीर, महमा परि३ धाये । जब करि सलाम राव कौं, सेख कर सार संभाये ।। सदकी मीर हमीर परि, कर गही तेग रिसाइ । ठट्ठा भक्खरि सरि करै, कितेयक महिमासाहि ॥२६४।।
दोहा
उच्चरत सदको बचन यम, सुनो अलावदो साहि। लाऊ पकरि हमीद कौं, अरु संगि' महिमासाहि ।।२६५।।
धनि धनि महिमांसाहि, जंग सदकी सौं किन्हा । खुरसानी खट सहंस, पाड़ि केवानां लिन्हा ॥ हाजरि करै हमीर के, दोऊ दल करै सराह । [अब हम तुम मिलना होयगा,[फिरि]साहिब की दरगाह ।।२६६ ।
बहौरि सेख कहै बचन, राव सौं८ सीस नवाय । सरनि राखि मुझि राव, राज तजि बचन निभाया ।। बहौरि बचन बिछुरत कहै, लोचन भर करि' नीर । अब जननी कब जनमि है", कब किरि मिलै हमीर ।।२६७।।
बचनिकाराव हमीर महिमासाहि के तांई समझावता है।
१ ख. परि । २ घ. का अ.पा.। ३ ख.ग. पै। ४ ख. किये । ५ ग. पद्यांश नहीं है । ६ ख. गहि। ७ ख.ग.घ. करिवाना । ८ ग. कौं। ९ केवल(ग.घ.) मैं। १० म. भरि भरि। ११ ख. जनमि देहैं।
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