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हमीररासो १
अलादीन पतिसाहि सु, तो ऐसैं फुरवावै । इती सेस के सीस इती, धर रहन न पावै ।। जीते नृपति दसू देसके, कोड धरत' न धीर । करि सलाम मोहेरम कहै, मुझि समझि र राखि हमीर ।।४०।। जब हंसिके कहै हमीर, पुरखि जो वचन निभाहै । परै सीस धर पाय जबै, कोऊ ले जाहै ।। पछिम सूरजि ऊगवै* बोल बचन करि ना फिरौं । हमीर राव यम ऊचरै, तो निमत्ति साको करौं ॥४१॥
अब दूत राव सौं कही५--
अलादीन औलिया, चहुं दिसि फिरत दुहाई । राव सेख मति रखो. दूत ये वचन कहाई ।। निबल सबल सौ बाद करि, कहो कौन सुख संचरै । सो हमीर नहीं कीजिये बहौरि जीव मुसकल परैः ॥४२॥ गये देव धर छांडि तेज, कोऊ१० ठहैराये । अलादीन पतिसाहि११ अगनि तै१२ तेज सवाये ।। राव समद१३ पतिसाहि सौं, धीरी१४ धरत न कोय१५ । यह खूनी पतिसाहि का, तुझि राखै अौगन होय ॥४३।। जीते सुर नर असुर सबै, रावन गहि लाया । रामचंद्र सौं छोड़ि१६ कहो, पीछै १७ सुख पाया ।। सागर सरमरि होत नहीं, नदी कूप का नीर ।
पतिसाहिन सौ जंग करि, को१८ जीत्या न(ही) हमीर ।।४४।। १ ख. धरै न। २ घ. नही है । ३ ग. महिमा । ४ ग. जावै । * ख. 'उलट गंग बहै नीर' अ. पा. । ५ ख. तब दूत बचन राव सो कहै छ, घ. दूत बहौरि राव सौं बचन कहता है, ग. अथ बचनिक प्र. पा.। ६ घ. ऊचरे। ७ घ. हमीर प्र. पा.। ८ घ. हमीर करिये नहीं । ९ ग. हठ छाडे न हमीर, साहि क्यों मुझे पठावो ।
सेख न द्यौं सो साहि तुम्है जो अब ही प्रावो ॥ महिमा साहि हमीर दोऊ तुम सौं कही सलाम ।
जो कछु लिख्या हमीर साहि सो पढि देखो फरमान ।। प्र. पा. । १० घ. कहो को ठहराये । ११ घ. की अ. पा.। १२ घ. सौं। १३ ख. समझे । १४ घ. धर। १५ घ. कोई। १६ ख. छोड़ि कर। १७ ख. किसो। १८ ख. कोई ।
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