Book Title: Hamir Raso
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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हमीररासो : 29
जब ' मीरा नौ सयद, साहि की मदति पठाये । सिर उतारि २ लिये. राव परि ५ सनमुख ध्याये ।। पाये मदति हमीर को, उतरि अरस सौं च्यारि । पड़े सयद नौ खेत में, सूर ४ ले गये मारि ५ ।।१३७।।
बचनिकाः- पोरों के नाम
छंद
प्रबदल हसन " रहीम, सयद सुलतानी मकी। अदली हकोनी अरु रसूल, मिलि गये जू मटी' ॥ रह्यो साहि मुरझाय जब, (अरु)११ पड़े पहौमि नव पीर । जब१२ इम कहै १३ अलावदी, अजमति अधिक हमीर ।।१३८।।
बरस पाठ जिम हठे १४, साहि कहै १५ हाथि न आया । उलटि छांणि परि जाय, मीर उमराव बुलाया१६ । बकसी अमीर महरम खां, करि अरज कहाई१८ ।। लख १६ बलखी उमराव. सोई सदके भये (जु)साहि९• ॥१३६ ।।
१ घ. जद। २ ख. अतारि ले हाथ में। ३ घ. पं। ४. घ. गये सूर वह मारि । ५ प्रागे बचनिका है- ख. तबै पातिसाहि पीर प्रोलिया मनावै लजा हमारी पीरां के नांव । ६ घ. नांव। ७ घ. हसन हुसेन सूर सुलतानी, ग. सहै दल सुलतानी । ८ ग. अदलि अलकान रहीमां कानी पर रसूल । ९ घ. सूरेल । १०. ख. जूजमी में। ११. घ नहीं है, ख पड़े पहोमिन परि मीर । १२. घ. जद । १३. ख-ग.. कही । १४ ख. गढ़ सं लई हठि। १५ ग. गाहै । १६. ........ घ. सब ही मिलि आये, साहि कौं सीस नवावै ।
कहै महरम खां बचन, सुनौं मीर उमराव ।।
अलादीन इम ऊचरै, उलटि छांणि तुम जाय ।। १७. ख मीर, ग. अमीर इते सदके भये। १८. ख. प्ररज साहि दिसि इमि, घ बकसी ऊमीर महरम खां करी अरज, साहि दिसि येम कहाया। १९. ग. लिखत । २०. ग. हुतो।
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