Book Title: Hamir Raso
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 45
________________ 32 : हमीररासो' जबै राव रणधीर, राव सौं वचन कहाये । जमियति हिंदूसथान, कोपि के राव बुलाये ।। १५४ ।। छन्द Jain Educationa International जब लिखि परवाने राव, वंस छत्तीस बुलाये । दल चौगान जुड्यौ उमगि दल बादल छाये ॥ कर जोड़ि सबै हारि भये, कहत बचन यम राव । मैं गही तेग पतिसांहि सौं, जीवन चहै सु जाव ।। १५५।। जब कहै काको रणधीर, राव सुनि बचन हमारो | श्रबै छांडि को जाय, खाय करि निमक तुम्हारो ॥ प्रलादीन पतिसाहि सौं, गढ़ छांडि चौरें लरौं । दल येतो पतिसाहि को, मारि खाग कन-कन करों ॥१५६॥ aafter जब राव रणधीर हमीरसौं बचन कहाये । जमीयति गढ चीतोड़ की नहीं जूं आई । सो लिखि फुरवांन सिताब दूत चीतोड़ चलाये । तब सोला सहंस जमीयत ले, कंवर बाल्हासी आये F १ ख. ग. घ. पद्य के स्थान पर बचनिका है । बचfनका - जब पतिसाहि राड़ सफजंग किम न करि । राह मोरछा की करी । जब राव रणधीर राव हमीर सौं जमीयत दूसरा थान [हिंदूस्थान ( ख ) ] की बुलावो । २ घ. फरवांन । ३ घ आये । ४ ख खड़े । ५ ख. अमराव ६. ग. खग्ग । ७ ख ग घ बचनिका- जब राव रणधीर बस्यौं राव हमीर सौं कही । जमीयत गढ चीतोड़ की प्राई नहीं सो लिखी फुरवांन सिताब बुलावो । जब राव हमीर फरवांन गढ चीतोड़ को चलाये । जब सोला हजार जमीयत लेकर कंवर खान वाल्हरणसी राव हमीर को मदति कौं आयौ । तिसको व्योरो । ( किंचित परिवर्तित पाठ ) For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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