________________
___ हमीररासो : 13
दखिन देस अरु उत्तर, पछिम पूरब धर लीनी । कदम लागि कर भरत, कौंन मुझि' सरभर कीनी ।। मोहि अलावदी साहिसौं, कौन सार गहि जंग जुरै । सुनि हमीर दरियाव की, क्या सलिता सरभरि करै ।।५।।
जब हमीर फुरवांन, साहिके वांचि सुनाये प्रलादीन कौं ज्वाब, फेरि पीछा भिजवाये ॥५६।।
छंद
जुग पावक सौं जरै, नीर नहीं पावक जरई' सुनि अलावदी साहि, काल बिनि कोई न मरई ।। सरन राखि जे" सेख छौं, सूर जैत लज्या परै । लिखिये बचन हमीर' जो, साहि° सीस खूनी परै ॥६॥
गंग जमन दोऊनीर,पिछमि दिसि उलटि बहावै । बचन तेज नहीं तजौं, साहि तुमसे१२ सौ पावै ॥ रकत 3 नैन करि दूत दिसि,भाखै बचन रिसाय१४ । कहै राव रणथंभ दिसि, खड़िये बेगि पतिसाहि ।।६।।
अब चलै दूत मुरझाय, दिली दिसि करै१५ पयानौं । गढ रणथंभ हमीर, साहि कैसे१६ कमि जानौं ।। भये देस दसि साहि वसि, हरे सकल नर नीर । अबकै पतिसाहि अलावदी, कै१८ पतिसाहि हमीर ॥६२।।
१ घ. मोसौं । २ स्व.ग.घ. मुझि । ३ घ. नहीं है । ४ पूरा पद्य नहीं है । इसके स्थान पर निम्न बचनिका है- ग. घ. बचनिका-जब हमीर पातिसाहि को फुरवांन का जवाब लिखता है, ख. ज्वाब करता है। ५. घ. भरै । ६ ख. पावक सौं, प. कराये । ७ घ. रे । ८ ख. सूरज तल लज्या। ९ ख. घ. पतिसाहि सौं । १० घ. डरै। ११ घ. दोऊ उलटि बहावै । १२ ख, घ, नहीं है। १३ घ. राज तजौं नाना करि । १४ घ. नरेस । १५ घ. कियो। १६. ख, घ. साहिकी संक न भाने । १७-१८. घ. कहै ।
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org