Book Title: Hamir Raso
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 33
________________ 20 : हमीररासो - - - रूम स्याम कसमेरि इरांन', तुरां' दल पाये । हबस' बंग दल खड़े जब,- साहि रणथंभ चलाये ।। गढ़ कोट देस परलै करौं, मुझि अलावदी नाम । हजरति कहै हमीर का', अब देखू पाराम ।।९। सोरठ गढ़ गिरनारि, दखिरण पूरब धर जेती । लगै साहिके पाय, प्राय मिलि हजरति सेती ॥ अलादीन पतिसाहि सौं, को करि सकै गुमांन । हजरति के हाजरि चलै, इतै देस हिंदुवांन १९६॥ साहि सनीचर बार,कोपि रणथंभ दिसि चलिया। दसौ देस पाय लागि, साहिकौ सनमुख१ मिलिया१२ ।। ग्यारा सै अट्यासिया (११८८), चैत मास चंद रोज । चढियो साहि अलावदी करि हमीर पं फोज१3 ।।६७।। खड़िये मीर अमीर सब, रणथंभ१४ दिसि धायै । धर अंबर रज छाय'५, चलन कोऊ पंथ न पावै ।। बांधी तेग हनीर पै, जैत १६ साहि जगदीस । सपत लाख हिंदू हसम, मुसलमान लख वीस }|६८ डाक येक दस सहंस, खबरि चहुं दिसि की लावै । बेलदार लख च्यारि, पुहुमि में १७ नीर पिवावै ।। मीर मीर की मिसल परि, यक लख फिरत जसोल । हीमत बहादर अलीखांन, ये द्वे सूर हरोल ।।६६।। १ ख. कसमेरि तुवर दल । २ ग. इरा तरां। ३ घ. हसि बंग, ग. हबस बगस। ४ वा. ग. नांव। ५ म. घ. की । ६ ख. देखू हूं वाह, ग. घ. मुजि देखरण का चाव। ७ ख.घ. दसू देस । ८ ग. कोपि रणथंभ, ख. साहि बचन इम उचार। ९ घ. चढिये । १० ख. ग. दिसि चलाये। ११ म. प्राय अ. पा.। १२ ग. मिलिये। १३ ख. ग. घ. रोस । १४. ख. प्रति में-~-मीर उमराव साहि अलावदी. सूरज गिरदि छिप जात । थाट वाट सुध ना पडै, छिपै मिरद असमान धरति ।। चढयो दिली-सुर कोपि, रोर करि राव (रिसाय) । ये दस जोजन परमान, पड़त दल धर न समावै ।। अपा.१३ १५ ग. छ,ये। १६ ग जत । १७ ग. में नीर खिवावै । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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