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22 : हमीररासो
दसौ देस के मलिछ मिलि', खड़ि पायौ पतिसाहि । कहै हमीर: दीसै मुझे, सौदागर से साहि ।।१०।।
वचनिका बहौरयौ पातिसाह हमीर कौं फरमान भेजे ।
छंद
मैं मका का पीर, दिली पतिसाहि कहाये । हिन्दू तुरक दोयराह", सबै इकसार चलाये ॥ च्यारि वीर चौवीस पीर, भतै रहै मझि साथ । महिमांसाहि हमीर रखि१०,क्यों अदलि देत ११ बे हायि ।।१०६।।
वचनिका राव फुरवांन लिखाय के । दे भेजे पतिसाहि कै१२ ।
छंद तुम१३ मके के पीर, मैं सूर सुरलोक१४ कहाऊ । हम तुम सरभरि नांहि१५ साहि१६ तुमको समझाऊ ।। जत छाड़े जोगी नहीं, सत छाई रजपूत । सेख न सौ पौ साहि कौ, तो लग सिर ७ साबूत ।।१०७।। हजरति अब ही न कसै करौं१८, जैसी होई आई । मुसलमान चौहान साहि, औसै चलि१६ आई ।। मीर ख्वाजे पीर से, खिसै खेत अजमेरि । असी सहस इक लख, उलटि मका गये न फेरि ।।१०८।।
१ ख. ग. चलै । २ ख. चढ़ि । ३ ख. हमीर मुझि दीसतों। ४ ख. सो साथ । ५ ख भेजता है । ६ ख घ. कहाऊ । ७ ख. दोई इक राह चलाऊ । ८ घ. चलाऊ । ६ ख. घ पासि । १० घ. की। ११ घ. अदली भी आई हाथि । १२ ख. घ. राव हमीर उलटो फुरवांन पातिसाहि के ताई भेजता है। १३ घ. हजरति तुम । १४ ख. का प्रपा । १५ ख साहि: १६ ख. हठ । १७ घ. सीस । १८ ख जो अपा । १६ ख. होई ।
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