Book Title: Epigraphia Indica Vol 19
Author(s): Hirananda Shastri
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 140
________________ No. 17.] RITHAPUR PLATES OF BHAVATTAVARMMAN. 108 Second Plate ; Second Side. 11 [यो] चिता: हिरव[T]दयः पर्वप्रयायाः दातम्याः इथूनाच(च) वर्त12 व्या = एष च ग्राम: पाचन्द्रतारिकया स्थित्या सर्वकरविसर्जितः पा(प)भ. 18 मवेयः पवतः पयली:(क) सर्ववादपरी(सिौन: चिञ्चालप14 लायपद्रकमांदवा न कि'शिवतव्यः [] यो वा कषिखो(जो)मादागाहा कर15 प्रवर्तनं भूमिलोप(पं) व्वा(वा) कुर्यात् स पञ्चभिर्षहापातकैसंयुको मन 16 वेत् [1] पस्माभिश्च सदशनिवर्तनिकः सहसः सवाटक: Third Plate ; First Side. 17 ग्रामोयम् दत्तः यत एतदयम्(3) न क(क)नचित् किचित् क्तव्यः [1] सि(सी)मा चास्य 18 ग्रामस्य उत्तरेण पर्बत: विषयसि(सौ)मान्तिको कर्मन्सकेन सह मा19 सुकविरकः मधुकमतिका पिडिरवाहक्षेण चकसामलकम(क) चिमन्दर20 ब विरक: राज्यसि(सी)मति [*] 'याचे कारण वर्षे कार्तिकमासम 21 सतम्याम् [1] खमुखाजा(ज)याभिलिखित(ता) रहसि नियुक्त (न) मुझेन ॥ श्रीमहारा22 मार्थपतिभट्टारकेण पामयः मातापित्रोः पुण्यकीर्तिवईनधर्मस्थान(न) Third Plate ; Second Side. 23 [पुषाणां पहाणा][मा]चन्द्रास्थितिकालिका (म)[वि]चाल्यं भवविति 24 न[r"] पार्यकपादप्रसादानुग्रहीतेन ताम्बु(घ)शासनमेतत् कारितमि25 ति [1] खस्ति गोब्राणप्रजाम्यः = सिहरस्तुः (स्तु) ॥ 26 पदोप(पाध्यायपुत्रस्य पुत्रेण बोपदेवेण(न) चतमिद[म् ॥] if is engraved below the line. * The TT of wat is entered below the line. It is written above the line. Here follows a verse in the Aryi motro. *[A letter like Et seems to be writton below the symbol for bbi, apparently, as a correction.-Ed.] • Tharonding पुवाचाis not quite certain but the traces of the damaged letters fsvour the roading पक्षचामा at any rate (Then wen would require correction. Cf. reading in L. 7 above. -Ed.) '(The cormeet rending neems to be का[वि.] कम[विचारवं भवत्विति.-Ed.] The engraver soms to have inserted a abovo Tu so as to make it o u .

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