Book Title: Epigraphia Indica Vol 19
Author(s): Hirananda Shastri
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 380
________________ No. 82.] THE BHADAVANA GRANT OF GOVINDACHANDRADEVA OF KANAUJ. 293 .8 प्रमहोमडले' ।चूहारबविभिवतालुगसितस्त्यानासृगुहासितः शष पेषवसा' दि. व क्षणमसौ कोडे विलाना नन: [७] तस्मादजायत निजाबतबाहु. वशिवधावरुन्दन7 तंरगजो नरः । सान्द्राद्रवमुवो प्रभवो गवां यो गोविन्दचन्द' इति चन्द्र वाम्बु(म्बुरासे [*] न कथमप्यलभन्त रणक्षमा सिस'' दिक्षु गजानथ वजिणः [1] ककुभि 8 [ब भसुरनमुवामप्रतिभटा व यस्य घटागजाः ।[८] सोयं समस्तराज चक्रसंसो(मे)वितचरणकमलः स च परमभहारकमहाराजाधिराजपरमेखर"परम9 माहेश्वरनिजभुजोपार्जितत्रोकन्यकुमाधिपत्यत्रीचंद्रदेवपादानुध्यातपरमभट्टारकमहा राजाधिराजपरमेश्वरपरममाहेखरश्रीमान"पाल पालदे10 वपादानुध्यातपरे(र)मभहारकमहारा[जा]धिराजपरमेश्वरपरममाहेख(ख)राखपति गजपतिनरपतिराजवयाधिपतिविविधविद्याविचारवाचस्पतिश्री(म)होवि. 11 न्दचन्द्रदेवो विजयो महाविसपत्तलायां भटवस्तीग्रामेण सह खषुभदन(व)णा" सा भदवणाग्रामनिवासिनो निखिलजनपदानपि राजरानोयुवराजमन्त्रिपुरो हितसेना12 धिपतिभांडागारिवा(का)चपटलिवीत्त[१] (कनैमित्ति-Ed.)कान्तःपुरिकदूस (त-Ed.)प तनाकरगोकुलाधिकारिपुरुषानाज्ञापयति वो(बो)धयत्याडिश तिच विदितमस्तु भवतां यथोपरिलिखितग्रामः सजलसथल" 13 सलोहसवणाकर" सगतॊखर समधुक" सामचूतकंटिकाविटपतणपूति गोरच (चर-Ed.)पर्यन्तः सोष[ति] (मोहीध-Ed.)चतुराघाटविशुद्धः संवत् ११८४ फाल्गुन्यामावास्यायां गुरुतिथे(तिथौ गुरी-Ed.) 14 पाय॥ श्रीमप्रयाग" वणतो श्रोवधि"वत्स्नात्वा कुगलवा(ता)पूतकरत लोदकेन त्रिभुवनधातु वासुदेवस्य पूर्णा विधाय हविषा हविर्भुज हुवा मातापिचोरात्मनत्पुपुन्य • Rend तिष + Road भ्यम्महीमचल. • Read शेष: • Read 'वशा. • Read विलीना. IRead °बज्ञापवहनबराव्यगणी नरेन्द्र: 'Read सान्द्रासतद्रवमुचा. * Read • Read रा. +tead बम - Read पर. [But the text reada वर. correotly.-Ed.] "Rand मदन. "Drop one पाच. 14 This should ond in the instramental case or the word as will bave to be supplied.--Ed.) "Rend दिश. " Road सबलस्थल:. - Read °बर:. 1* Read °TT:. "Read मधुक: [Soot.n.30m page 291.-Ed.] a Read चो ! " Read श्रीमरप्रयाग * Bond wat ? [Se f. 2. 1 on page 292,-Ed.] "Bond °विषिषस्थाला. 1 Rond ang: "Read मनश्च पुण्ययी भिार.

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