________________ इकट्ठा करके पड़ा रखने की आवश्यकता ही क्या है ? साधारण खाते में एकत्रित द्रव्य. का सातों ही क्षेत्रों में उचित प्रमाण से क्यों नहीं व्यय किया जाता ? यदि द्रव्य का आवश्यकतानुसार व्यय होता रहे तो दूसरे को हजम करने का प्रसंग-अवसर ही प्राप्त नहीं हो। इन प्रसंगों के खड़े होने का मुख्य कारण 'देवद्रव्य' में वृद्धि, वृद्धि और वृद्धि का लोभ ही है इसके अतिरिक्त अन्य कोई कारण नजर नहीं आता। इस प्रकार की लोभप्रवृत्ति नहीं रखते हुए यदि निर्धारित निर्णयानुसार उसकी व्यवस्था होती रहे तो. सप्तक्षेत्रों का पोषण होता रहेगा और किसी को हजम करने का अवसर भी नहीं मिलेगा। अब तो यह भी बताना आवश्यक है कि उपयुक्त कथनानुसार पूजा-आरती आदि की बोली का द्रव्य साधारण खाते में लेजाने में किसी प्रकार का शास्त्रीय दृष्टि से दोष दिखाई नहीं देता है / बोलियाँ बोलने की परिपाटी कुछ ही वर्षों पूर्व सुविहित आचार्यों एवं श्री संघ ने विशेष कारण से ही देशकालानुसार बनाई है। मंदिरों और मूत्तियों के रक्षार्थ अमुक-अमुक बोलियों का द्रव्य ‘देवद्रव्य' खाते में ले जाने का निर्णय किया है और उस समय में ऐसा करना आवश्यक भी था। इन बोलियों के बोलने का मुख्य उद्देश्य तो यही है कि