________________ ( 83 ) देवद्रव्यवृद्धिकर्ता संसारसागर में डूबता है। आखिर-उपयुक्त सकलवृत्तान्त को ध्यान में रख कर ही देवद्र व्य की वृद्धि करना उपयुक्त है। पूजाआरती वगैरह की बोलियों का द्रव्य साधारण खाते में ले जाने में किञ्चित् भी शास्त्रीय रुकावट नहीं है। इस सम्बन्ध में भी पूर्णतया विचार करना चाहिये / इतना कहकर विराम लेता हूं। देवद्रव्य सम्बन्धी विशेष जानकारी के लिए तत्पश्चात् निकलने वाली मेरी चतुर्थ पत्रिका को पठनार्थ वाचकवर्ग उत्कण्ठित रहें।