Book Title: Devdravya Sambandhi Mere Vichar
Author(s): Dharmsuri
Publisher: Mumukshu

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Page 104
________________ (66 ) अन्त में भगवान् हेमचन्द्राचार्य के शब्दों में (दो शब्दों में परिवर्तन करके) अनुरोध करता हुआ विराम लूगा "गुणेष्वसूयां दधतः परेऽमी मा शिश्रियन्नाम विचारमेतम् / तथापि सम्मील्य विलोचनानि विचारयन्तां नयवर्त्म सत्यम्" // 1 //

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