________________ ( 110 ) प्रमाण अनेक स्थानों पर मिलते हैं / 'बाङ्गाला भाषा अभिधान" नाम का बंगाली शब्द कोष है, उसमें 239 पृष्ठ पर 'उत्सर्पण' शब्द का 'त्याग' अर्थ भी किया है। यह अर्थ प्रस्तुत प्रकरण में कितना अच्छा घटता है ? यह कहने को आवश्यकता ही नहीं रहती है। __ श्रीमान् आनन्दसागरजी 'बोली बोलना', ऐसा अर्थ 'उत्सर्पण' शब्द का करते हैं, वह तो बिल्कुल निमल है दृष्टान्तरूप देखिएँ"आसांजलास्फालनतत्पराणां . मुक्ताफलस्पर्धिषु शीक रेषु / पयोधरोत्सर्पिषु शीर्यमाणः संलक्ष्यते न च्छिदुरोऽपि हारः" / / 62 / रघुवंश, सर्ग 16 इस श्लोक के तृतीय पाद में 'उत्सर्पिषु' शब्द आया है, वह 'उत्-सृप्' धातु से बना है, टीकाकार मल्लिनाथ सूरि उसका अर्थ इस प्रकार करते हैं-'पयोधरेषु स्तनेषु उत्सर्पन्ति, उत्पतन्ति ये तेषु शीकरेषु"। देखिए, यहाँ पर 'उत्सृप्' धातु का अर्थ 'उत्पतन' अर्थात् 'उड़ना' या 'उड़कर गिरना', ऐसा अर्थ किया गया है, परन्तु 'बोली बोलना' ऐसा अर्थ नहीं किया है।