________________ ( 41 ) रण द्रव्य के लिए इतना अधिक कहने पर भी यह बात समझ में नहीं आती है कि देवद्रव्य के ऊपर ही इतनी अधिक मुग्धता क्यों ? आर साधारण द्रव्य को तरफ इतनी उपेक्षा क्यों ? अरे। कई धर्मगुरु भी ऐसा ही समझकर उपदेश देते हैं कि देवद्रव्य की वृद्धि से ही मोक्ष मिलेगा। साधारण द्रव्य तो कोई चीज ही नहीं है। परन्तु मुझे समझाना - कहना पड़ेगा कि धर्मगुरुओं को चाहिए कि उपदेश देते समय लाभा लाभ का सर्वप्रथम विचार करें। कौन सा रिवाज किस कारण से प्रारंभ हुआ ? अब इसमें परिवर्तन करने की आवश्यकता है या नहीं ? इत्यादि बातों का सर्वप्रथम विचार कर देना चाहिए। पीछे से चला आ रहा है अतः उसमें परिवर्तन हो ही नहीं सकता है ऐसा दुराग्रह रखना, समयज्ञ नहीं होने ( समय को नहीं जानने ) का ही परिणाम है / यह तो ऐसा हुआ कि एक बार सभी श्रावक प्रतिक्रमण करने बैठे, चारों तरफ अंधकार व्याप्त था / चालीस लोगस्स के काउस्सग्ग के समय ओक व्यक्ति के हाथ का स्पर्श दूसरे व्यक्ति को हो गया, दूसरे ने समझा कि प्रतिक्रमण को विधि में ऐसा ही होता होगा, अतः उसने भो तीसरे व्यक्ति को हाथ लगाया / फिर तो तोसरे ने चौथे को, चौथे ने पाँचवे को, इस प्रकार 20-25 नंम्बर तक कुहनी मारते गये /