________________ ( 42 ) . सभी के मन में यही विचार हुआ कि प्रतिक्रमण : की विधि में यह भी क्रिया है। आखिर में एक व्यक्ति के मन में हुआ कि अग्रिम ब्यक्ति ने मुझे कुहनी क्यों मारी है ? ऐसा विचार आते ही उसने कुहनी मारने वाले से पूछा कि, "अरे भाई ! कुहनी क्यों मार रहा है ?" उसने जबाब दिया कि, "बैठ रे ! पीछे से चली आती इसका अर्थ ही क्या है ? पीछे से चला आ रहा है अतः उसको चलने ही देना क्या ? अरे ! उसका मूल कारण जानना ही नहीं क्या ! किस कारण से चला आ रहा है ? ऐसा नहीं और ऐसा ही क्यों किया गया ? इत्यादि बातों पर जब तक विचार नहीं किया जायेगा, तब तक किसी भी क्रिया का - किसी भी रिवाज का रहस्य समझ में ही कहाँ से आयेगा और कैसे आयेगा? बल्कि शास्त्रकार तो स्पष्टता पूर्वक बता रहे हैं कि ; गृहस्थों को धर्ममार्ग में यदि द्रव्य का व्यय करना हो तो मुख्यतया साधारण खाते में ही करना चाहिए। - देखिए - श्राद्धविधि के पृष्ठ 80 पर कहा गया है कि"धर्मव्ययश्च मुख्यवृत्त्या साधारण एव क्रियते, यथायथा विशेषविलोक्यमानं धर्मस्थाने तदुपयोगः स्यात् /