Book Title: Devdravya Sambandhi Mere Vichar
Author(s): Dharmsuri
Publisher: Mumukshu

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Page 48
________________ / 43 ) सप्तक्षे त्यां .हि यत्सीदत् क्षेत्रं स्यातदुपष्टम्भे भूयान्। लाभो दृश्यते / " . अर्थात्-मुख्यतया धर्म हेतु व्यय साधारण खाते में ही करना चाहिए क्योंकि जैसे-जैसे विशेष देखने में आता है वैसे-वैसे धर्मस्थानों में उसका उपयोग हो सकता है। सातों क्षेत्रों में जो कमजोर क्षेत्र होता है उसको पुष्ट करने में अत्यधिक लाभ है। ___ इसी प्रकार का उल्लेख धर्मसंग्रह ग्रन्थ के पृष्ठ 168 में आता है - "मुख्यवृत्त्या धर्मव्ययः साधारण एवं क्रियते, तस्या-- शेषधर्मकार्ये उपभोगागमनात् / " .. ____ अर्थात्-मुख्यतया धर्म के लिए. व्यय साधारण खाते में ही करना चाहिए, क्योंकि उसमें से सभी धर्मकार्यों में उपभोग हो सकता है। इतना ही पाठ नहीं है, परन्तु अनेक धर्मग्रन्थों में साधारण खाते को पूष्ट बनाने के असंख्य उल्लेख (पाठ ) होने पर भी एवं विद्वानों की श्रेणि में गिने जाने वाले साधु उन पाठों को निरन्तर पढ़ने पर भी श्रावकों को सत्य बात बताने में पूर्वाग्रह नही छोड़ते हैं। न मालुम इसका क्या कारण है ? यही बात समझ में / नहीं आती है। गाँव-गाँव में साधारण खाते में कमी.

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