________________ ( 12 ) यदि बराबर समझ ले, तो मेरे उपयुक्त कथन में किसी को किञ्चित् भी बाधा उत्पन्न नहीं होगो / अर्थात् जो गहस्थ जिस समय अपने यहाँ से आभूषण तथा जवाहरातादि लाकर सिर्फ एक दिन की अंग रचना के लिए ही भगवान पर चढ़ाता है, उस समय उस गृहस्थ की भगवान को समर्पण बुद्धि न होने के कारण ही वह दूसरे दिन पुनः अपने घर ले जाता है इसी प्रकार बोली के द्रव्य के लिए भी संघ जैसी कल्पना करने की इच्छा रखता हो वैसी कल्पना कर सकता है और इस समय साधारण खाते में ले जाने का उपदेश इसीलिए दिया जाता है कि जहाँ देखो वहाँ प्रायः साधारण खाते में ही कमी नजर आती है / उस समय किसी भी गाँव या शहर का संघ अपने निर्धारित (निर्णीत) कार्य को भी पूर्ण नहीं कर सकता है। दूसरी ओर धीरे-धीरे समय भी बहुत ही नाजुक आ रहा है। ऐसी परिस्थिति में यदि साधारण खाते को पुष्ट नहीं किया जायेगा और सभी का सभी द्रव्य 'देवद्रव्य' में ही ले जाया जायेगा तो उसका परिणाम यह आयेगा कि ऐसे विषय समय में मनुष्यों के मन उस 'देवद्रव्य' की तरफ आकर्षित हुए विना रहेंगे नहीं / अतः भविष्य में ऐसी विषम स्थिति उपस्थित नहीं होने पाये इसके लिए अभी से सुव्यवस्था की तरफ प्रत्येक ग्राम या शहर