Book Title: Devdravya Sambandhi Mere Vichar
Author(s): Dharmsuri
Publisher: Mumukshu

View full book text
Previous | Next

Page 33
________________ ( 28 ) जो इन्द्रमाला परिधान का ऊपर कथन किया गया है उसको अभी तो संघपति प्रायः 'नकरा' देकर ही पहिन लेते हैं। नकरा भी वैसे का वैसे तो रहा नहीं, उसमें भी समयानुसार परिवर्तन होता ही रहा है। तब आप लोग ही बताएँ कि पहले इस इन्द्रमाला परिधान की जो आय होती थी, उसमें परिवर्तन हुआ या नहीं ? परिधापनिका- पहेरामणी- पहले गृहस्थ लोग पहेरामणीनिमित्त वस्त्र अथवा रोकड़ देवद्रव्य में देते रहते थे, परन्तु आजकल वह रिवाज भी नहीं रहा / अब बताइएँ कि देवद्रव्य की आय में परिवर्तन हुआ या नहीं ? ___आरती में द्रव्य. रखकर देवद्रव्य की वृद्धि हेतु कहा है फिर भी आजकल कई स्थानों पर या तो याचकों को दे दिया जाता है या फिर पूजारी ले जाता है। इसमें भी परिवर्तन हुआ या नहीं? ___देवद्रव्य की वृद्धि का जो पाठ देकर कोई-कोई स्वपक्ष स्थापित करने का प्रयत्न करते हैं, परन्तु उसी पाठ में बताये देवद्रव्य की वृद्धि के कारणों में उपयुक्त प्रमाणों से बहुत बड़ा परिवर्तन बताया गया है। तो क्या ऐसे परिवर्तन कर्ता का भव-भ्रमण बढ़ जायेगा, वे लोग ऐसा मानते हैं क्या ?

Loading...

Page Navigation
1 ... 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130