________________ हो जाने पर शिष्य हो स्वस्कंधों पर उठाकर ले जाते थे, परन्तु बाद में डोली में बैठने लगे जिसे मजदूर लोग उठाने लगे और आज जो भवभ्रमण का (रिवाजों के परिवर्तन में ) डर बताते हैं उनकी ही परंपरा के उनके ही आज्ञानुवर्ती साधु ही नहीं परन्तु उच्च कोटि के विद्वान आ० भ० भी हाथ ठेले गाड़ी में बैठकर जाते हैं जो कि कुछ वर्षों पूर्व डोली में जाते थे। इनसे ही यह पूछा जाय कि अपने हट्ट-कट्ट ( शक्ति-सम्पन्न.) शिष्यों के होने पर भी डोली में या ठेले गाडी में क्यों बैठते हैं ? और यदि बैठते हैं तो अपने शिष्यों के द्वारा डोली क्यों नहीं उठवाई जाती है ? मजदूरों के द्वारा ही क्यों उठवाई जाती है ? ___यदि समयानुसार परिपर्तन नहीं हुआ होता तो उपयुक्त बाते देखने को नहीं मिलतीं)। द्रव्य-क्षेत्र-कालभावानुसार प्रवर्तने की प्रभु ने आज्ञा की है, उसका फिर हेतु ही क्या है ? समयानुसार इस प्रकार के परिवर्तन में जो भवभ्रमण का भय बतलाते हैं, वे द्रव्य-क्षत्रकाल और भाव को कहाँ चरितार्थ करेंगे? यह कोई बता सकेगा क्या ? (अनुवादक की कलम से-दो तिथी, एक तिथी का झगड़ा वर्षों तक चला और कई कट्टरपंथी एक दूसरे को साधु मानने के लिए भी तैयार नहीं थे आज उन्हीं