Book Title: Devdravya Sambandhi Mere Vichar
Author(s): Dharmsuri
Publisher: Mumukshu

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Page 35
________________ / 30 ) कि लोग जब गुरु भक्ति निमित्त गुरुन्युञ्छनार्थ अधिकाधिक द्रव्य देने लगे तब आखिर यह निर्णय करना पड़ा कि यह द्रव्य साधारण खाते में ले जाया जाएँ। इसी प्रकार सिद्धाचलजी तीर्थ में भी कई परिवर्तन हो गये यह बात सर्वविदित और सुप्रसिद्ध ही है। जिस द्रव्य को भाट लेकर जाते, उसमें से भी बहुत सा द्रव्य 'देवद्रव्य' में ले जाने का निश्चय किया गया। अन्त में पूजा के नामों में भी परिवर्तन कर दिया। इस तरह समय-समय पर प्राचीन परम्परा (रिवाजों) में परिवर्तन के एक नहीं परन्तु सैकड़ों उल्लेख (उदाहरण) मिल सकते हैं। ___ पाटण में पहले पूजन सामग्री में प्लेट, दुपट्टे और साड़ियाँ वगैरह बहुमूल्य वस्तुएँ (स्वस्वशक्त्यनुसार) रखते थे और वे सब वस्तुएँ मंदिर खाते में ले जाई जाती थी, परन्तु बाद में इस परम्परा को बदलकर श्रावकोपयोगी धोती वगैरह रखने की परम्परा प्रारंभ हुई तथा पूजा की रोकड़ रकम जो मन्दिर खाते में ले जाई जाती थी वह साधारण खाते में ले लाई जाने लगी और उसका उपयोग केशर-चन्दन के लिए होने लगा तथा उस केशर चंदन का उपयोग श्रावक भी कर सकते हैं, ऐसा निर्णय लिया गया। अतः आप ही

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