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वाईसवाँ अध्ययन
रथनेमीय सोरियपुर नामक नगरी मे था वसुदेव नाम का भूप ।
- राज-लक्षणो से संयुक्त, महान ऋद्धिधर रूप अनूप ॥१॥ उसके उभय रानियां थी रोहिणी देवकी नाम प्रसिद्ध । . ___ दोनो के दो इष्ट पुत्र थे राम व केशव गुण-समृद्ध ॥२॥ सोरियपुर नगरी मे भूपं समुद्रविजय करता था राज्य ।
राज लक्षणो से सयुक्त महद्धिक, विस्तृत था साम्राज्य ॥३॥ शिवा नामक भार्या उसके महा. यशस्वी पुत्र-प्रधान ।
हुआ लोक का नाथ दमीश्वर नाम अरिष्टनेमि भगवान ॥४॥ -स्वर-लक्षण सयुत शुभ एक हजार आठ लक्षणवाला था। - , वह गौतम गोत्री व अरिष्टनेमि फिर श्याम वर्णवाला था ॥५॥ वज्र-ऋपभ - सहनन, झषोदर, था वह समचतुस्राऽऽकार । ... . उसके लिए कृष्ण ने मागी, कन्या राजमती उस बार ॥६॥ वह सब लक्षण युक्त सुशीला चारु-प्रेक्षिणी नृपवर- कन्या। ..
-विद्युत्सौदामिनी प्रभा वाली थी धन्या रूप अनन्या ॥७॥ महा ऋद्धिधर वासुदेव -से, उसके पितु ने कहा स्पष्टतर । -
आए यही कुमार तदा मैं दे सकता हू कन्या सुन्दर ।।८।। सर्वोपधिमय जल से नहलाया व किए कौतुक मंगल चिर । । दिव्य वस्त्र युग पहनाया आभरण-विभूपित किया उसे फिर ॥६॥ वासुदेव के मत्त व ज्येष्ठ गध गज पर आरूढ हुआ । १५ सिर पर ज्यो चूडामणि त्यो वह नेमि सुशोभित अधिक हुआ ॥१०॥ ऊचे छत्र चामरो से वह हुआ सुशोभित, नेमि कुमार ।
चारों ओर दशार-चक्र से परिवृत, लगता रम्य अपार ॥११॥ क्रमशः चतुररगिनी चमू सज्जित की गई वहाँ पर खास ।
नभ-स्पर्शी वाद्यो के दिव्य नाद से गूंज उठा आकाग ॥१२॥