Book Title: Dashvaikalika Uttaradhyayana
Author(s): Mangilalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 214
________________ १९६ उत्तराध्ययन जो कि वर्ण से श्वेत, पौद्गलिक होता स्कंध, यहाँ पहचान । वह सस्थान, गध, रस और स्पर्श से होता भाज्य, सुजान ॥२६॥ जो कि गध से सुगन्ध वाला होता पुद्गल-स्कन्ध विशेष । वह सस्थान, वर्ण, रस और स्पर्श से होता भाज्य, अशेष ॥२७॥ जो कि गध से होता है दुर्गंध युक्त पुद्गल पहचान । वह सस्थान, वर्ण, रस और स्पर्श से होता भाज्य, सुजान ॥२८॥ रस से जो कि तिक्त होता है पुद्गल-स्कन्ध, यहाँ पहचान । । वर्ण, गध, संस्थान, स्पर्श से होता है वह भाज्य, सुजान ! ॥२६॥ जो रस से कडुवा होता है पुद्गल स्कन्ध, यहाँ पहचान । वर्ण, गध, सस्थान, स्पर्श से होता है वह भाज्य, सुजान | ॥३०॥ रस से जो कि कसैला होता पुद्गल-स्कन्ध, यहाँ पहचान। . वर्ण, गध, सस्थान, स्पर्श से होता है वह भाज्य, सुजान ! ॥३१॥ रस से जो खट्टा होता है पुद्गल-स्कन्ध, यहाँ पहचान । वर्ण, गध, सस्थान, स्पर्श से होता है वह भाज्य, सुजान ॥३२॥ रस से जो कि मधुर होता है पुद्गल-स्कन्ध, यहाँ पहचान । वर्ण, गध, सस्थान, स्पर्श से होता है वह भाज्य, सुजान ! ॥३३॥ जो कि स्पर्श से कर्कश होता पुद्गल-स्कन्ध, यहाँ पहचान । - वह सस्थान व वर्ण, गध, रस से भाजित होता मतिमान ! ॥३४॥ जो कि स्पर्श से मृदु होता है पुद्गल-स्कंध यहाँ पहचान । वह सस्थान व वर्ण, गध, रस से भाजित होता मतिमान ॥३५॥ जो कि स्पर्श से गुरु होता है पुद्गल-स्कन्ध, यहाँ पहचान । वह सस्थान व वर्ण, गध, रस से भाजित होता मतिमान ! ॥३६॥ जो कि स्पर्श से लघु होता है पुद्गल-स्कध, यहाँ पहचान। वह सस्थान व वर्ण, गध, रस से भाजित होता मतिमान ॥३७॥ जो कि स्पर्श से शीत पौद्गलिक होता स्कध, यहाँ पहचान । वह संस्थान व वर्ण, गध, रस से भाजित होता मतिमान !॥३८॥ जो कि स्पर्श से उष्ण पौद्गलिक होता स्कध, यहाँ पहचान । वह संस्थान व वर्ण, गध, रस से भाजित होता मतिमान !॥३६॥

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