Book Title: Dashvaikalika Uttaradhyayana
Author(s): Mangilalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 228
________________ २१० उत्तराध्ययन अब सीधर्म सुरो को जघन्य स्थिति है एक पल्य परिमाण। - " उत्कृष्टायु-स्थिति उनकी दो सागर को है स्पष्ट विधान ॥२२२॥ सुर ईशानो की जघन्य स्थिति साधिक एक पल्य पहचान । उत्कृष्टायु-स्थिति उनकी है साधिक दो मागर परिमाण ॥२२३।। सनत्कुमारे सुरो को जघन्य स्थिति है दो सागर परिमाण । --- '- उत्कृष्टायु-स्थिति उनकी है सात सागरोंपम पहचान मा२२४॥ अव माहेन्द्र सुरी की जघन्य स्थिति साधिक दो सागर माना- -- उत्कृष्टोयु-स्थिति उनकी है साधिक सागर सात प्रमाण ।।२२।। ब्रह्मलोक देवो की जघन्यते. आयु-स्थिति सागर सात । - । . उत्कृष्टायु-स्थिति उनकी दश सागर की होती अवदात ॥२२६॥ लान्तक देवों की जघन्यतः आयु-स्थिति देश सागर मान । 1 . उत्कृष्टायु-स्थिति उनकी चौदह सागर की हैं पहचान ॥२२७॥ महाशुक्र देवो की जघन्यतः चौदही सांगर परिमाण । ' 'उत्कृष्टायु-स्थिति उनकी सतरह सागर की है पहचान ।।२२८॥ सहस्रार देवो की जघन्यतः सतरह सागर परिमाण -- 'उत्कृष्टायु-स्थिति उनी अष्टादश सागर की पहचान ॥२६॥ आनत देवो की जघन्य स्थिति अष्टादर्श सागर परिमाण । उत्कृष्टायु-स्थिति उनकी उन्नीस सागरोपम की जान ॥२३०॥ प्राणत देवों को जघन्य 'उन्नीस सांगरोपमं परिमाण । - ।. उत्कृष्टायु-स्थिति है उनकी बीस सागरोपम पहचान ।।२३१॥ आरण देवो की जघन्य स्थिति बीस सागरोपम पहचानः। -- - : उत्कृष्टायु-स्थिति उनकी इक्कीस सागरोपम मतिमान २३२॥ अच्युत देवो की जघन्य आयु-स्थिति एक- वीस सांगर। .. उत्कृष्टायु-स्थिति उनकी बाईस सागरोपम की वर॥२३३॥ प्रथम वेयक की “जघन्यत. बाईस सागरोपम है। - - 3 । - उत्कृप्टायु-स्थिति उन देवो की तेईस सागरोपमःहै ॥२३४॥ अव द्वितीय की ‘जघन्यत तेईस सागरोपम परिमाण'।----- उत्कृप्टायु-स्थिति उसकी चौवीस सागरोपम पहचान ।।२३।।

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