Book Title: Bhagvati Sutra Part 01
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 11
________________ के रहस्य को स्पष्ट करता है। उत्तर में विविधता होते हुए भी बाधकता नहीं है । पूर्वतप.. आदि चार उत्तर, संक्षेप में सरागता और सर्मिता में गभित होजाते हैं और विशेष संक्षेप. करने पर सरागता, समिता में तथा समिता, सरागता मे मिलकर एक ही उत्तर बन जाता है। प्रत्येक उत्तर अपने में अन्य तीन उत्तरों को भी गौणरूप लिये हुए है। इन्हीं के . कारण आयु का बन्ध, गति और जन्म आदि होते हैं । ___.. भगवती सूत्र, ज्ञान का विशाल भंडार है । इसका स्वाध्याय भी गंभीरता से करना चाहिये । समझ में नहीं आवे, उस बात को अनुभवी महात्माओं से समझनी चाहिए और कुतर्क से सदैव बचकर रहना चाहिए। इस संस्करण के सम्पादन में पं. बेचरदासजी दोशी द्वारा सम्पादित श्रीभगवतीसूत्र प्रथमखंड तथा आगमोदय समिति वाली प्रति का सहारा लिया है । प्रूफ संशोधन में पहले की तरह इस बार भी विशेष त्रुटियां रहीं, जिसका शुद्धिपत्र दिया जारहा है। श्रीयुत पं. घेवरचंदजी बांठियां ने, उदारमना श्रीमान सेठ किसनलालजी पृथ्वीराजजी मालू के सहयोग से भगवतीसूत्र का सम्पादन किया और बहुश्रुत मुनिश्रेष्ठ श्रीसमर्थमलजी महाराज को सुनाकर संशोधन करवाया, इसके लिये समाज आपका व श्रीमान् सेठ किसनलालजी पृथ्वीराजजी मालू खीचन निवासी का आभारी रहेगा। सैलाना (मः प्र.) वि. सं. २०२१ सन् १९६४ । रतनलाल डोशी SONILO Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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