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ने प्रतिपादित किया है कि तीर्थङ्कर महावीर का दान दो दृष्टियों से महान् है - प्रथम, याचकों का अभाव और द्वितीय, उनकी घोषणा 'दान माँगो, 'दान माँगो'।
सत्ताईसवें 'तीर्थकृद्दाननिष्फलतापरिहाराष्टकम्' में विपक्षियों के इस तर्क ‘निश्चित रूप से तीर्थङ्कर अपने वर्तमान भव में ही मोक्षगामी होगें, इसलिए उनके द्वारा किया गया दान निष्फल है', का खण्डन किया गया है। आचार्य का कथन है कि महान् आत्मायें अपने चित्त के दयामय अध्यवसाय के कारण दानादि में प्रवृत्त होती हैं। वास्तव में इस दान से उनके सञ्चित कर्मों का क्षय होता है।
अट्ठाईसवें 'राज्यादिदानेऽपितीर्थकृतोदोषाभावप्रतिपादनाष्टकम्' में विपक्षियों द्वारा राज्य महापाप का आधारभूत माना गया है। तीर्थङ्कर द्वारा राज्यादि अपने उत्तराधिकारियों को प्रदान करना अनुचित मानकर वे इसकी निन्दा करते हैं, जो सङ्गत नहीं है। आचार्य हरिभद्र का अभिमत है कि यदि राज्य को स्वामी-विहीन छोड़ दिया जाय तो इससे उत्पन्न अराजकता से जन-धन की बहुत क्षति होगी। इसलिए तीर्थङ्कर द्वारा राज्य का, उत्तराधिकारियों आदि को प्रदान करना जनहित में है। आचार्य हरिभद्र ने तीर्थङ्करों द्वारा गृहस्थ-जीवन में कृत विवाह को भी युक्तिसङ्गत बताया है।
उन्तीसवें 'सामायिकस्वरूपनिरूपणाष्टकम्' में सामायिक का स्वरूप और लक्षण निरूपित है। सामायिक प्राप्त लोगों का स्वभाव चन्दन के समान होता है। शुभ आशय वाली सामायिक को, लौकिक उदारता के फलस्वरूप उत्पन्न मन की शुभता से समीकृत नहीं करना चाहिए। अपने अपकारी के प्रति भी विशुद्ध सामायिक वाले के मन में अहित की भावना नहीं उत्पन्न होती है। बोधिसत्व के कथन 'जगत् के जीवों का सारा दुश्चरित्र मेरे में आ जाय और मेरे सुचरित्र के योग से सभी प्राणियों को मोक्ष मिले', के विषय में हरिभद्र का अभिमत है कि यह प्रार्थना एक गृहस्थ द्वारा बोधि प्राप्त करने हेतु है, वस्तुत: बोधिसत्व द्वारा ऐसी अर्चना नहीं की गयी है।
तीसवें 'केवलज्ञानाष्टकम्' में निरूपित है कि विशुद्ध आत्मा को लोकालोक प्रकाशक केवलज्ञान प्राप्त होता है। केवलज्ञान स्वभाव रूप होते हुए भी आत्मा अनादि काल से कर्मरूपी मल से आवृत्त है। जिस प्रकार प्रयत्नपूर्वक रत्नों की मलिनता दूर की जाती है उसी प्रकार ( सामायिक आदि ) साधनों द्वारा आत्मा का मल दूर किया जाता है। हरिभद्र के अनुसार चन्द्रप्रभा से केवलज्ञान का दृष्टान्त, दृष्टान्त मात्र है, सच्चे अर्थ में पूर्ण दृष्टान्त नहीं है।
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