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अष्टकप्रकरणम्
अष्टकाख्यं प्रकरणं कृत्वा यत्पुण्यमर्जितम् । 'विरहात्तेन पापस्य भवन्तु सुखिनो जनाः ॥ १० ॥
अष्टक नामक प्रकरण ( की ) रचनाकर जो पुण्य अर्जित किया है, उस पुण्य द्वारा पाप-विरह ( विनाश ) से ( सम्पूर्ण ) लोग सुखी हों ॥ १० ॥
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