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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
[११२८] भन्ते ! काल की प्रतिलेखना से जीव को क्या प्राप्त होता है ? काल की प्रतिलेखना से जीव ज्ञानावरणीय कर्म का क्षय करता है ।
_ [११२९] भन्ते ! प्रायश्चित्त से जीव को क्या प्राप्त होता है ? प्रायश्चित्त से जीव पापकर्मों को दूर करता है और धर्म-साधना को निरतिचार बनता है । सम्यक् प्रकार से प्रायश्चित्त करने वाला साधक मार्ग और मार्ग-फल को निर्मल करता है । आचार और आचारफल की आराधना करता है ।
[११३०] भन्ते ! क्षामणा करने से जीव को क्या प्राप्त होता है ? क्षमापना करने से जीव प्रहलाद भाव को प्राप्त होता है । प्रहलाद भाव सम्पन्न साधक सभी प्राण, भूत, जीव
और सत्त्वों के साथ मैत्रीभाव को प्राप्त होता है | मैत्रीभाव को प्राप्त जीव भाव-विशुद्धि कर निर्भय होता है ।
[११३१] भन्ते ! स्वाध्याय से जीव को क्या प्राप्त होता है ? स्वाध्याय से जीव ज्ञानावरणीय कर्म का क्षय करता है ।
[११३२] भन्ते ! वाचना से जीव को क्या प्राप्त होता ? वाचना से जीव कर्मों की निर्जरा करता है, श्रुत ज्ञान की आशातना के दोष से दूर रहता है । तीर्थ धर्म का अवलम्बन करता है-तीर्थधर्म का अवलम्बन लेकर कर्मों की महानिर्जरा और महापर्यवसान करता है ।
[११३३] भन्ते ! प्रतिपृच्छना से जीव को क्या प्राप्त होता है ? प्रतिपृच्छना से जीव सूत्र, अर्थ और तदुभव-दोनों से सम्बन्धित काक्षामोहनीय का निराकरण करता है ।
[११३४] भन्ते ! परावर्तना से जीव को क्या प्राप्त होता है ? परावर्तना से व्यंजन स्थिर होता है । और जीव पदानुसारिता आदि व्यंजन-लब्धि को प्राप्त होता है ।
[११३५] भन्ते ! अनुप्रेक्षा से जीव को क्या प्राप्त होता है ? अनुप्रेक्षा से जीव आयुष् कर्म को छोड़कर शेष ज्ञानावरणादि सात कर्मों की प्रकृतियों के प्रगाढ बन्धन को शिथिल करता है । उनकी दीर्घकालीन स्थिति को अल्पकालीन करता है । उनके तीव्र रसानुभाव को मन्द करता है । बहुकर्म प्रदेशों को अल्प-प्रदेशों में परिवर्तित करता है । आयुष कर्म का बन्ध कदाचित् करता है, कदाचित् नहीं भी करता है । असातवेदनीय कर्म का पुनः पुनः उपचय नहीं करता है । जो संसार अटवी अनादि एवं अनवदन है, दीर्घ मार्ग से युक्त है, जिसके नरकादि गतिरूप चार अन्त हैं, उसे शीघ्र ही पार करता है ।।
[११३६] भन्ते ! धर्मकथा से जीव को क्या प्राप्त होता है ? धर्म कथा से जीव कर्मों की निर्जरा करता है और प्रवचन की प्रभावना करता है । प्रवचन की प्रभावना करनेवाला जीव भविष्य में शुभ फल देने वाले कर्मों का बन्ध करता है ।
[११३७] भन्ते ! श्रुत की आराधना से जीव को क्या प्राप्त होता है ? श्रुत की आराधना से जीव अज्ञान का क्षय करता है और क्लेश को प्राप्त नहीं होता है ।
[११३८] भन्ते ! मन को एकाग्रता में संनिवेशन करने से जीव को क्या प्राप्त होता है ? मन को एकाग्रता में स्थापित करने से चित्त का निरोध होता है ।
[११३९] भन्ते ! संयम से जीव को क्या प्राप्त होता है ? संयम से आश्रव के निरोध को प्राप्त होता है ।
[११४०] भन्ते ! तप से जीव को क्या प्राप्त होता है ? तप से जीव पूर्व संचित कर्मों