Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 12
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 202
________________ २०१ अनुयोगद्वार-२३५ नामनिष्पन्ननाम, अवयवनिष्पन्ननाम, संयोगनिष्पन्ननाम, प्रमाणनिष्पन्ननाम । गौण- क्या है ? जो क्षमागुण से युक्त हो उसका 'क्षमण' नाम होना, जो तपे उसे तपन (सूर्य), प्रज्वलित हो उसे ज्वलन (अग्नि), जो बहे उसे पवन कहना । नोगौणनाम क्या है ? वह इस प्रकार जानना-कुन्त से रहित होने पर भी पक्षी को 'सकुन्त' कहना । मूंग धान्य से रहित होने पर भी डिविया को 'समुद्ग' कहना । इसी तरह समुद्र, पलाल, सकुलि, पलाश, मातृवाहक 'बीजवापक' ‘इन्द्रगोप' आदि समझना । आदानपदनिष्पन्ननाम क्या है ? आवंती, चातुरंगिजं, असंखयं, अहातत्थिजं अद्दइजं, जण्णइजं, पुरिसइज्जं (उसुकारिज), एलइजं, वीरियं, धम्म, मग्ग, समोसरणं, जमईयं आदि आदानपदनिष्पन्ननाम हैं । प्रतिपक्षपद से निष्पन्ननाम क्या है ? इस प्रकार है-नवीन ग्राम, आकर, नगर, खेट, कर्बट, मडंब, द्रोणमुख, पट्टन, आश्रम, संबाह और सनिवेश आदि में निवास करने पर अशिवा को 'शिवा' शब्द से उच्चारित करना । अग्नि को शीतल और विष को मधुर, कलाल के घर में 'आम्ल' के स्थान पर 'स्वादु' शब्द का व्यवहार होना । इसी प्रकार रक्त वर्ण का हो उसे अलक्तक, लाबु को अलाबु, सुंभक को कुसुंभक और विपरीतभाषक को 'अभापक' कहना । यह सब प्रतिपक्षपदनिष्पन्ननाम जानना । प्रधानपदनिष्पन्ननाम क्या है ? इस प्रकार है, अशोकवन, सप्तपर्णवन, चंपकवन, आम्रवन, नागवन, पुन्नागवन, इक्षुवन, द्राक्षावन, शालवन, ये सब प्रधानपदनिष्पन्ननाम हैं । अनादिसिद्धान्तनिष्पन्नाम क्या है ? इस प्रकार है-धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, जीवास्तिकाय, पुद्गलास्तिकाय, अद्धासमय । नामनिष्पन्ननाम क्या है ? इस प्रकार है-पिता या पितामह अथवा पिता के पितामह के नाम से निष्पन्न नाम नामनिष्पन्ननाम है । अवयवनिष्पन्ननाम क्या है ? इस प्रकार जानना [२३६-२३८] श्रृंगी, शिखी, विषाणी, दंष्ट्री, पक्षी, खुरी, नखी, वाली, द्विपद, चतुष्पद, बहुपद, लांगूली, केशरी, ककुदी आदि । परिकरबंधन-विशिष्ट रचना युक्त वस्त्रों के पहनने सेकमर कसने से योद्धा परिचाना जाता है, विशिष्ट प्रकार के वस्त्रों को पहनने से महिला पहिचानी जाती है, एक कण पकने से द्रोणपरिमित अन्न का पकना और एक ही गाथा के सुनने से कवि को पहिचाना जाता है । यह सब अवयवनिष्पन्ननाम हैं । ___ संयोगनिष्पन्ननाम क्या है ? संयोग चार प्रकार का है-द्रव्यसंयोग, क्षेत्रसंयोग, कालसंयोग, भावसंयोग । द्रव्यसंयोग तीन प्रकार का है, सचित्तद्रव्यसंयोग, अचित्तद्रव्यसंयोग, मिश्रद्रव्यसंयोग। सचित्तद्रव्य के संयोग से निष्पन्न नाम का स्वरूप इस प्रकार है-गाय के संयोग से गोमान्, महिषी के संयोग से महिषीमान्, मेषियों के संयोग से मेषीमान् और ऊंटनियों के संयोग से उष्ट्रीपाल नाम होना आदि सचित्तद्रव्यसंयोग से निष्पन्न नाम हैं । अचित्त द्रव्य के संयोग से निष्पन्न नाम का यह स्वरूप है-छत्र के संयोग से छत्री, दंड के संयोग से दंडी, पट के संयोग से पटी, घट के संयोग से घटी, कट के संयोग से कटी आदि नाम अचित्तद्रव्यसंयोगनिष्पन्न नाम हैं । मिश्रद्रव्यसंयोगनिष्पन्न नाम का स्वरूप इस प्रकार जानना-हल के संयोग से हालिक, शकट के संयोग से शाकटिक, रथ के संयोग से रथिक, नाव के संयोग से नाविक आदि नाम मिश्रद्रव्यसंयोगनिष्पन्ननाम हैं । क्षेत्रसंयोग से निष्पन्न नाम क्या है ? इस प्रकार है-यह भरतक्षेत्रीय है, ऐरावतक्षेत्रीय

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