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अनुयोगद्वार - २९९
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[२९९] भगवन् ! शरीर कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! पांच प्रकार के, औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस, कार्मण । नैरयिकों के तीन शरीर हैं । वैक्रिय, तैजस और कार्मण शरीर । असुरकुमारों के तीन शरीर हैं । वैक्रिय, तैजस और कार्मण । इसी प्रकार स्तनितकुमार पर्यन्त जानना ।
पृथ्वीकायिक जीवों के कितने शरीर हैं ? गौतम ! तीन, औदारिक, तैजस और कार्मण । इसी प्रकार अप्कायिक, तेजस्कायिक और वनस्पतिकायिक जीवों को भी जानना । वायुकायिक जीवों के चार शरीर हैं-औदारिक, वैक्रिय, तैजस और कार्मण शरीर । पृथ्वीकायिक जीवों के समान द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों के भी जानना ।
पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवों के कितने शरीर होते हैं ? गौतम ! वायुकायिक के समान जानना । गौतम ! मनुष्यों के पांच शरीर हैं । - औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस और कार्मण शरीर । वाणव्यंतर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों के नारकों के समान वैक्रिय, तैजस और कार्मण ये तीन-तीन शरीर हैं |
औदारिकशरीर कितने प्रकार के हैं ? दो प्रकार के, बद्ध औदारिकशरीर, मुक्त औदारिकशरीर । जो बद्ध औदारिकशरीर हैं वे असंख्यात हैं । वे कालतः असंख्यात उत्सर्पिणियोंअवसर्पिणियों द्वारा अपहृत होते हैं और क्षेत्रतः असंख्यात लोकप्रमाण । जो मुक्त हैं, वे अनन्त हैं । कालतः वे अनन्त उत्सर्पिणियों अवसर्पिणियों से अपहृत होते हैं और क्षेत्रतः अनन्त लोकप्रमाण हैं । द्रव्यतः वे मुक्त औदारिकशरीर अभवसिद्धिक जीवों से अनन्त गुणे और सिद्धों के अनन्तवें भागप्रमाण हैं । वैक्रियशरीर दो प्रकार के हैं । -बद्ध और मुक्त | जो बद्ध हैं, वे असंख्यात हैं और कालतः असंख्यात उत्सर्पिणियों अवसर्पिणियों द्वारा अपहृत होते हैं। क्षेत्रतः वे असंख्यात श्रेणीप्रमाण हैं तथा वे श्रेणियां प्रतर के असंख्यातवें भाग हैं तथा मुक्त वैक्रियशरीर अनन्त हैं । कालतः वे अनन्त उत्सर्पिणियों अवसर्पिणियों द्वारा अपहृत होते हैं । शेष कथन मुक्त औदारिकशरीरों के समान जानना ।
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आहारकशरीर कितने हैं ? दो प्रकार के हैं । -बद्ध और मुक्त | बद्ध कदाचित् होते कदाचित नहीं होते । यदि होते हैं तो जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट सहस्रपृथक्त्व होते हैं । मुक्त अनन्त हैं, जिनकी प्ररूपणा औदारिकशरीर के समान जानना । तैजसशरीर दो प्रकार के हैं-बद्ध और मुक्त । उनमें से बद्ध अनन्त हैं, जो कालतः अनन्त उत्सर्पिणियोंअवसर्पिणियों से अपहृत होते हैं । क्षेत्रतः वे अनन्त लोकप्रमाण हैं । द्रव्यतः सिद्धों से अनन्तगुणे और सर्व जीवों से अनन्तभाग न्यून हैं । मुक्त तैजसशरीर अनन्त हैं, जो कालतः अनन्त उत्सर्पिणियों अवसर्पिणियों में अपहृत होते हैं । क्षेत्रतः अनन्त लोकप्रमाण हैं, द्रव्यतः समस्त जीवों से अनन्तगुणे तथा जीववर्ग क अनन्तवें भाग हैं । कार्मणशरीर दो प्रकार के हैं, - बद्ध और मुक्त । तैजसशरीर के समान कार्मणशरीर में भी कहना ।
नैरयिक जीवों के कितने औदारिकशरीर हैं ? गौतम ! दो प्रकार के हैं-बद्ध और मुक्त। बद्ध औदारिकशरीर उनके नहीं होते हैं और मुक्त औदारिकशरीर पूर्वोक्त सामान्य मुक्त औदारिकशरीर के बराबर जानना । नारक जीवों के वैक्रियशरीर दो प्रकार के हैं-बद्ध और मुक्त | बद्ध वैक्रियशरीर असंख्यात हैं जो कालतः असंख्यात उत्सर्पिणी- अवसर्पिणी कालों के समयप्रमाण हैं । क्षेत्रतः वे असंख्यात श्रेणीप्रमाण है । वे श्रेणियां प्रतर का असंख्यात भाग हैं । उन