Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 12
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 210
________________ अनुयोगद्वार - २६७ २०९ उत्कृष्ट अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण है । पर्याप्त ( द्वीन्द्रिय जीवों) की जघन्य गवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट बारह योजन प्रमाण है । त्रीन्द्रिय जीवों की अवगाहना का मान कितना है ? गौतम ! सामान्यतः त्रीन्द्रिय जीवों की जघन्य अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण है और उत्कृष्ट अवगाहना तीन कोस की है । अपर्याप्तक त्रीन्द्रिय जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण है । त्रीन्द्रिय पर्याप्तकों की जघन्य अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग की और उत्कृष्ट अवगाहना तीन गव्यूत प्रमाण है । चतुरिन्द्रिय जीवों की अवगाहना औधिक रूप से चतुरिन्द्रिय जीवों की जघन्य शरीरावगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट चार गव्यूत प्रमाण है । अपर्याप्त की जघन्य एवं उत्कृष्ट अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग मात्र है । पर्याप्तकों की जघन्यतः अंगुल के असंख्यातवें भाग एवं उत्कृष्टतः चार गव्यूत प्रमाण है । तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों की अवगाहना कितनी है ? गौतम ! जघन्य अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट १००० योजन प्रमाण है । जलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों की अवगाहना इसी प्रकार है । संमूर्च्छिम जलचरतिर्यंचयोनिकों की जघन्य अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट अवगाहना १००० योजन की जानना । अपर्याप्त संमूर्च्छिम जलचरतिर्यंचयोनिकों की जघन्य और उत्कृष्ट अवगाहना भी अंगुल के असंख्यातवें भाग है । पर्याप्त संमूर्च्छिम जलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों की अवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट १००० योजन प्रमाण है । गर्भव्युत्क्रांतजलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों की अवगाहना जघन्यतः अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्टतः योजनसहस्र की है । अपर्याप्त गर्भव्युत्क्रांतजलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों की अवगाहना जघन्य और उत्कृष्ट भी अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण है । पर्याप्तक गर्भजजलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों की शरीरावगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट १००० योजनप्रमाण है । चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों की अवगाहना ? गौतम ! सामान्य रूप में जघन्य अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग एवं उत्कृष्ट छह गव्यूति की है । संमूर्च्छिम चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों की अवगाहना ? जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट गव्यूतिपृथक्त्व प्रमाण है । अपर्याप्त संमूर्च्छिम चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रिय तिर्यंचों की अवगाहना जघन्य एवं उत्कृष्ट अंगुल के असंख्यातवें भाग की है । पर्याप्त संमूर्च्छिम चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों की शरीरावगाहना है । जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट गव्यूतिपृथक्त्व है । गभूव्यूत्क्रान्तिक चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों की अवगाहना । जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट छह गव्यूति प्रमाण है । अपर्याप्त गर्भव्युत्क्रान्त चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों की शरीरावगाहना जघन्य और उत्कृष्ट भी अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण है । पर्याप्तक गर्भज चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों की शरीरावगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण और उत्कृष्ट छह गव्यूति प्रमाण है । खेचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों की शरीरावगाहना कितनी है ? गौतम ! जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट धनुषपृथक्त्व प्रमाण है तथा सामान्य संमूर्च्छिम खेचरपंचेन्द्रिय तिर्यंच जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट शरीरावगाहना संमूर्च्छिम जन्मवाले भुजपरिसर्प पंचेन्द्रिय 12 14

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