Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 12
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 181
________________ १८० आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद होते हैं ? अनानुपूर्वीद्रव्य केवल अनानुपूर्वीद्रव्यों में ही समवतरित होते हैं । नैगम-व्यवहारनयमान्य अवक्तव्यद्रव्य कहाँ समवतरित होते हैं ? क्या आनुपूर्वीद्रव्यों में अथवा अनानुपूर्वीद्रव्यों में या अवक्तव्यकद्रव्यों में समवतरित होते हैं ? अवक्तव्यकद्रव्य केवल अवक्तव्यकद्रव्यों में ही समवतरित होते हैं । [९०-९१] अनुगम क्या है ? नौ प्रकार है, सत्पदप्ररूपणा, द्रव्यप्रमाण, क्षेत्र, स्पर्शना, काल, अन्तर, भाग, भाव और अल्पबहुत्व । [९२] नैगम-व्यवहारनय की अपेक्षा आनुपूर्वी द्रव्य हैं अथवा नहीं हैं ? अवश्य हैं । ईसी प्रकार अनानुपूर्वी और अवक्तव्यकद्रव्य को भी जानना । [९३] नैगम-व्यवहारनय की अपेक्षा आनुपूर्वी द्रव्य क्या संख्यात हैं, असंख्यात हैं, अथवा अनन्त हैं ? वे अनन्त ही हैं । इसी प्रकार शेष दोनों भी अनन्त हैं । [९४] नैगम-व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वी द्रव्य (क्षेत्र के) कितने भाग में अवगाढ हैं ? क्या लोक के संख्यातवें भाग में अवगाढ हैं ? असंख्यातवें भाग में अवगाढ हैं ? क्या संख्यात भागों में अवगाढ हैं ? असंख्यात भागों में अवगाढ हैं ? अथवा समस्त लोक में अवगाढ हैं ? किसी एक आनुपूर्वीद्रव्य की अपेक्षा कोई लोक के संख्यातवें भाग में, कोई लोक के असंख्यातवें भाग में तथा कोई एक आनुपूर्वी द्रव्य लोक के संख्यात भागों में रहता है और कोई एक आनुपूर्वी द्रव्य असंख्यात भागों में रहता है और कोई एक द्रव्य समस्त लोक में अवगाढ होकर रहता है । किन्तु अनेक द्रव्यों की अपेक्षा तो वे नियमतः समस्त लोक में अवगाढ हैं । नैगमव्यवहारनयसम्मत अनानुपूर्वीद्रव्य क्या लोक के संख्यात भाग में अवगाढ हैं ? असंख्यात भाग में अवगाढ हैं ? संख्यात भागों में हैं या असंख्यात भागों में हैं अथवा समस्त लोक में अवगाढ हैं ? एक अनानुपूर्वीद्रव्य की अपेक्षा वह लोक के असंख्यातवें भाग में ही अवगाढ है, किन्तु अनेक अनानुपूर्वीद्रव्यों की अपेक्षा नियमतः सर्वलोक में अवगाढ है। इसी प्रकार अवक्तव्यद्रव्य में भी जानना । [९५] नैगम-व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वीद्रव्य क्या लोक के संख्यातवें भाग का अथवा असंख्यातवें भाग का या संख्यात भागों का अथवा असंख्यात भागों का अथवा समस्त लोक का स्पर्श करते हैं ? नैगम-व्यवहारनय की अपेक्षा एक आनुपूर्वीद्रव्य लोक के संख्यातवें भाग का यावत् अथवा सर्वलोक का स्पर्श करता है, किन्तु अनेक (आनुपूर्वी) द्रव्य तो नियमतः सर्वलोक का स्पर्श करते हैं । नैगम-व्यवहारनय की अपेक्षा अनानुपूर्वी द्रव्य क्या लोक के संख्यातवें भाग का स्पर्श करते हैं ? इत्यादि प्रश्न । एक एक अनानुपूर्वी की अपेक्षा लोक के असंख्यातवें भाग का ही स्पर्श करते हैं, किन्तु अनेक अनानुपूर्वी द्रव्यों की अपेक्षा तो नियमतः सर्वलोक का स्पर्श करते हैं । अवक्तव्य द्रव्यों की स्पर्शना भी इसी प्रकार समझना। [९६] नैगम-व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वीद्रव्य काल की अपेक्षा कितने काल तक रहते हैं ? एक आनुपूर्वीद्रव्य जघन्य एक समय एवं उत्कृष्ट असंख्यात काल तक उसी स्वरूप में रहता है और विविध आनुपूर्वीद्रव्यों की अपेक्षा नियमतः स्थिति सार्वकालिक है । इसी प्रकार अनानुपूर्वी और अवक्तव्य द्रव्यों की स्थिति भी जानना । [९७] नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्यों का कालापेक्षया अंतर कितना होता है ? एक आनुपूर्वीद्रव्य की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अनन्त काल का, किन्तु अनेक

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