Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 12
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 189
________________ १८८ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद में रहते हैं यावत् देशोन लोक में रहते हैं । किन्तु अनेक द्रव्यों की अपेक्षा नियमतः सर्वलोक में रहते हैं । समस्त अनानुपूर्वी द्रव्यों और अवक्तव्य द्रव्यों की वक्तव्यता भी नैगमव्यवहारनयसम्मत क्षेत्रानुपूर्वी के समान है । इस कालानुपूर्वी में स्पर्शनाद्वार का कथन तथैव क्षेत्रानुपूर्वी जैसा ही जानना । नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य कालापेक्षया कितने काल तक रहते हैं । एक आनुपूर्वीद्रव्य की अपेक्षा जघन्य स्थिति तीन समय की और उत्कृष्ट असंख्यात काल की है । अनेक आनुपूर्वीद्रव्यों की अपेक्षा स्थिति सर्वकालिक है । नैगम-व्यवहारनयसंमत अनानुपूर्वीद्रव्य कालापेक्षा कितने काल तक रहते हैं ? एक द्रव्यापेक्षया तो अजघन्य अनुत्कृष्ट स्थिति एक समय की तथा अनेक द्रव्यों की अपेक्षा सर्वकालिक है । नैगम-व्यवहारनयसम्मत अवक्तव्यकद्रव्य कालापेक्षया कितने काल रहते हैं ? एक द्रव्य की अपेक्षा अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थिति दो समय की है और अनेक द्रव्यों की अपेक्षा सर्वकालिक है । नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्यों का कालापेक्षया अन्तर कितने समय का होता है ? एक द्रव्य की अपेक्षा जघन्य अन्तर एक समय और उत्कृष्ट अनर दो समय है । किन्तु अनेक द्रव्यों की अपेक्षा अन्तर नहीं है । कालापेक्षया नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनानुपूर्वी द्रव्यों का अन्तर कितने समय का होता है ? एक द्रव्य की अपेक्षा जघन्य अन्तर दो समय का और उत्कृष्ट असंख्यात काल का है । अनेक द्रव्यों की अपेक्षा अन्तर नहीं है । अनानुपूर्वीद्रव्यों की तरह नैगम-व्यवहारनयसम्मत अवक्तव्यकद्रव्यों के विषय में भी प्रश्न है । एक द्रव्य की अपेक्षा अवक्तव्यकद्रव्यों का अन्तर एक समय का और उत्कृष्ट असंख्यात काल प्रमाण है । अनेक द्रव्यों की अपेक्षा अन्तर नहीं है । ___ नैगमव्यवहार नय सम्मत आनुपूर्वी द्रव्य शेप द्रव्यो के कितने वें भाग प्रमाण है ? तीनों द्रव्यो के लिए क्षेत्रानुपूर्वी जैसा ही समझना । [१३६] संग्रहनय सम्मत अनौपधिकी कालानुपूर्वी क्या है ? वह पांच प्रकार की है । अर्थपदप्ररूपणता, भंग समुत्कीर्तनता, भंगोपदर्शनता, समवतार और अनुगम । [१३७] संग्रहनयसम्मत अर्थपदप्ररूपणता क्या है ? इन पांचों द्वारों संग्रहनयसम्मत क्षेत्रानुपूर्वी समान जानना । विशेष यह कि ‘प्रदेशावगाढ' के बदले 'स्थिति' कहना । [१३८] औपनिधिकी कालानुपूर्वी क्या है ? उसके तीन प्रकार हैं-पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी और अनानुपूर्वी । पूर्वानुपूर्वी क्या है ? वह इस प्रकार है-एक समय की स्थिति वाले, दो समय की स्थिति वाले, तीन, समय की स्थिति वाले यावत् दस समय की स्थिति वाले यावत् संख्यात समय की स्थिति वाले, असंख्यात समय की स्थिति वाले द्रव्यों का अनुक्रम से उपन्यास करने को पूर्वानुपूर्वी कहते हैं । पश्चानुपूर्वी क्या है ? असंख्यात समय की स्थिति वाले से लेकर एक समय पर्यन्त की स्थिति वाले द्रव्यों का व्युत्क्रम से उपन्यास करना पश्चानुपूर्वी है | अनानुपूर्वी क्या है ? वह इस प्रकार जानना कि एक से लेकर असंख्यात पर्यन्त एक-एक की वृद्धि द्वारा निष्पन्न श्रेणी में परस्पर गुणाकार करने से प्राप्त महाराशि में से आदि और अंत के दो भंगों से न्यून भंग अनानुपूर्वी हैं । ___अथवा औपनिधिकी कालानुपूर्वी तीन प्रकार की है । पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी, अनानुपूर्वी । पूर्वानुपूर्वी क्या है ? समय, आवलिका, आनप्राण, स्तोक, लव, मुहूर्त, दिवस,

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