Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 12
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 193
________________ १९२ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद नाम विशेषित नाम हैं । इन सबमें से भी प्रत्येक को अविशेषित नाम माना जाये तो उनके पर्याप्त अपर्याप्त भेद विशेषित नाम कहलायेंगे । यदि ज्योतिष्क नाम को अविशेषित माना जाये तो चंद्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और तारारूप नाम विशेपित कहे जायेंगे । इनमें से भी प्रत्येक को अविशेपित नाम माना जाये तो उनके पर्याप्त, अपर्याप्त भेद विशेषित नाम हैं । यदि वैमानिक देवपद को अविशेषित नाम माना जाये तो उसके कल्पोपन्न और कल्पातीत यह दो प्रकार विशेषित नाम हैं । कल्पोपपन्न को अविशेषित नाम मानने पर सौधर्म, ईशान यावत् अच्युत विमानवासी देव नाम विशेषित नाम रूप हैं । यदि इनमें से प्रत्येक को अविशेषित नाम माना जाये तो उनके पर्याप्त, अपर्याप्त रूप भेद विशेषित नाम कहलायेंगे । यदि कल्पातीत को अविशेषित नाम माना जाये तो ग्रैवेयकवासी और अनुत्तरोपपातिक देव विशेषित नाम हो जाएँगे । ग्रैवेयकवासी को अविशेषित नाम मानने पर अधस्तन०, मध्यम०, उपरितनग्रेवेयक ये नाम विशेषित नाम रूप होंगे । जब अधस्तनग्रैवेयक को अविशेषित नाम माना जायेगा तब अधस्तन - अधस्तन ग्रैवेयक, यावत् अधस्तन - उपरितन ग्रैवेयक नाम विशेषित नाम कहलायेंगे | अविशेषित नाम के रूप में मध्यमग्रैवेयक और उपरिम ग्रैवेयक को भी ईसी तरह जानना । इन सबको भी अविशेषित नाम माना जाये तो उनके पर्याप्त और अपर्याप्त ये विशेषित नाम कहलायेंगे । यदि अनुत्तरोपपातिक देव नाम को अविशेषित नाम कहा जाये तो विजय, वैजयन्त, जयन्त, अपराजित, सर्वार्थसिद्धविमानदेव विशेषित नाम कहालायेंगे । इन सबको भी अविशेषित नाम की कोटि में ग्रहण किया जाए तो प्रत्येक के पर्याप्त और अपर्याप्त भेद विशेषित नाम रूप हैं । यदि अजीवद्रव्य को अविशेषित नाम माना जाये तो धर्मास्तिकाय, अदर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, पुद्गलास्तिकाय और अद्धासमय, ये विशेषित नाम होंगे । यदि पुद्गलस्तिकाय को भी अविशेपित नाम माना जाये तो परमाणुपुद्गल, द्विप्रदेशिक यावत् अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध, यह नाम विशेषित कहलायेंगे । [१५१] त्रिनाम क्या है ? त्रिनाम के तीन भेद हैं । वे इस प्रकार - द्रव्यनाम, गुणनाम और पर्यायनाम । द्रव्यनाम क्या है ? द्रव्यनाम छह प्रकार का है । धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, जीवास्तिकाय, पुद्गलास्तिकाय, अद्धासमय । गुणनाम क्या है ? पाँच प्रकार से हैं । वर्णनाम, गंधनाम, रसनाम, स्पर्शनाम, संस्थाननाम | वर्णनाम क्या है ? पांच भेद हैं । कृष्णवर्णनाम नीलवर्णनाम, लोहित वर्णनाम, हारिद्र वर्णनाम, शुक्लवर्णनाम । गंधनाम क्या है ? दो प्रकार हैं । सुरभिगंधनाम, दुरभिगंधनाम । रसनाम क्या है पांच भेद हैं । तिक्तरसनाम, कटुकरसनाम, कषायरसनाम, आम्लरसनाम, मधुररसनाम । स्पर्शनाम क्या है ? आठ प्रकार हैं । कर्कशस्पर्शनाम, मृदुस्पर्शनाम, गुरुस्पर्शनाम, लघुस्पर्शनाम, शीतस्पर्शनाम, उष्णस्पर्शनाम, स्निग्धस्पर्शनाम, रूक्षस्पर्शनाम । संस्थाननाम क्या है ? पांच प्रकार हैं । परिमण्डलसंस्थाननाम, वृत्तसंस्थाननाम, त्र्यस्त्रसंस्थाननाम, चतुरस्रसंस्थाननाम, आयतसंस्थाननाम | पर्यायनाम क्या है ? अनेक प्रकार हैं । एकगुण काला, द्विगुणकाला यावत् अनन्तगुणकाला, एकगुणनीला, द्विगुणनीला यावत् अनन्तगुणनीला तथा इसी प्रकार लोहित, हारिद्र और शुक्लवर्ण की पर्यायों के नाम भी समझना । एकगुणसुरभिगंध, द्विगुणसुरभिगंध

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