Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 12
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 197
________________ १९६ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद मनुष्यगति और पारिणामिकभाव में जीवत्व को ग्रहण करना औदयिक - पारिणामिकभाव का स्वरूप है । उपशांतकपाय और क्षायिक सम्यक्त्व यह औपशमिक क्षायिकसंयोगज भाव का स्वरूप है । औपशमिकभाव में उपशांतकपाय और क्षयोपशमनिष्पन्न में इन्द्रियां यह औपशमिकक्षयोपशमनिष्पन्नभाव का स्वरूप है । औपशमिकबाव में उपशांतकपाय और पारिणामिकभाव में जीवत्व यह औपशमिक-पारिणामिकनिष्पन्नभाव का स्वरूप है । क्षायिक सम्यक्त्व और क्षायोपशमिक इन्द्रियां यह क्षायिक क्षायोपशमिकनिष्पन्नभाव का स्वरूप जानना । क्षायिकभाव में क्षायिक सम्यक्त्व और पारिणामिकभाव में जीवत्व का ग्रहण क्षायिक - पारिणामिकनिष्पन्नभाव का स्वरूप है । क्षायोपशमिकभाव में इन्द्रियां और पारिणामिकभाव में जीवत्व को ग्रहण किया जाये तो यह क्षायोपशमिक-पारिणामिकभाव का स्वरूप है । सान्निपातिकभाव में त्रिकसंयोगज दस भंग हैं- औदयिक औपशमिक क्षायिकनिष्पन्नभाव, औदयिक औपशमिक क्षायोपशमिकनिष्पन्नभाव, औदयिक औपशपिक-पारिणामिकनिष्पन्नभाव, औदयिक क्षायिक क्षायोपशमिकनिष्पन्नभाव, औदयिकक्षायिक - पारिणामिकनिष्पन्नभाव, औदयिकक्षायोपशमिक-पारिणामिकनिष्पन्नभाव, औपशमिकक्षायिक- क्षायोपशमिकनिष्पन्नभाव, औपशमिकक्षायिक-पारिणामिकनिष्पन्नभाव, औपशमिकक्षायोपशमिक-पारिणामिकनिष्पन्नभाव, क्षायिकक्षायोपशमिक-पारिणामिकनिष्पन्नभाव । औदयिक औपशमिक क्षायिकनिष्पन्नभाव क्या है ? मनुष्यगति औदयिकभाव, उपशांतकषाय औपशमिकभाव और क्षायिकसम्यक्त्व क्षायिकभाव यह औदयिक औपशमिकक्षायिक निष्पन्नभाव का स्वरूप है । मनुष्यगति औदयिकभाव, उपशांतकषाय औपशमिक और इन्द्रियां क्षायोपशमिकभाव, इस प्रकार औदयिक औपशमिक- क्षायोपशमिकनिष्पन्नभाव का स्वरूप जानना चाहिये । मनुष्यगति औदयिक, उपशांतकषाय औपशमिक और जीवत्व पारिणामिक भाव, इस प्रकार से औदयिक- औपशमिक-पारिणामिकनिष्पन्नभाव का स्वरूप है । मनुष्यगति औदयिक, क्षायिक सम्यक्त्व क्षायिकभाव और इन्द्रियां क्षायोपशमिकभाव यह औदयिक क्षायिकक्षायोपशमिकनिष्पन्न सान्निपातिकभाव का स्वरूप है । मनुष्यगति औदयिकभाव, क्षायिक सम्यक्त्व क्षायिकभाव और जीवत्व पारिणामिकभाव इस प्रकार का औदयिक - क्षायिकपारिणामिकभावनिष्पन्न सान्निपातिकभाव का स्वरूप है । मनुष्यगति औदयिक, इन्द्रियां क्षायोपशमिक और जीवत्व पारिणामिक, यह औदयिक - क्षायोपशमिक-पारिणामिकभावनिष्पन्न सान्निपातिकभाव का स्वरूप जानना । उपशांतकषाय औपशमिकभाव, क्षायिकसम्यक्त्व क्षायिकभाव, इन्द्रियां क्षायोपशमिकभाव, यह औपशमिक क्षायिक क्षायोपशमिकनिष्पन्न सान्निपातिकभाव है । उपशांतकषाय औपशमिकभाव, क्षायिकसम्यक्त्व क्षायिकभाव, जीवत्व पारिणामिकभाव, यह औपशमिक क्षायिक-पारिणामिकभावनिष्पन्न सान्निपातिकभाव का स्वरूप जानना चाहिये । उपशांतकषाय औपशमिकभाव, इन्द्रियां क्षायोपशमिक और जीवत्व पारिणामिक, इस प्रकार से यह औपशमिक क्षायोपशमिक-पारिणामिकभावनिष्पन्नसान्निपातिकभाव का स्वरूप जानना । क्षायिकसम्यक्त्व क्षायिकभाव, इन्द्रियां क्षायोपशमिकभाव और जीवत्व पारिणामिकभाव, इस प्रकार का क्षायिक क्षायोपशमिक-पारिणामिकभावनिष्पन्न सान्निपातिकभाव का स्वरूप है । चार भावों के संयोग से निष्पन्न सान्निपातिकभाव के पांच भंगो के नाम इस प्रकार हैंऔदयिक औपशमिक क्षायिक क्षायोपशमिक निष्पन्नभाव, औदयिक औपशमिक -

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