Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 12
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 185
________________ १८४ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद हैं । एक प्रदेशावगाही पुद्गलपरमाणु आदि द्रव्य अनानुपूर्वियां हैं । दो आकाशप्रदेशावगाही व्यणुकादि द्रव्यस्कन्ध अवक्तव्यक हैं । - इस नैगम-व्यवहारनयसम्मत अर्थपदप्ररूपणता का क्या प्रयोजन है ? ईनके द्वारा नैगमव्यवहार-नयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता की जाती है । नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता क्या है ? वह इस प्रकार है-आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी, अवक्तव्यक है इत्यादि द्रव्यानुपूर्वी के पाठ की तरह क्षेत्रानुपूर्वी के भी वही छब्बीस भंग हैं । नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता का क्या प्रयोजन है ? इस के द्वारा नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगोपदर्शनता की जाती है । नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगोपदर्शनता क्या है ? तीन आकाशप्रदेशावगाढ त्र्यणुकादि स्कन्ध आनुपूर्वी पद का वाच्य हैं हैं । एक आकाशप्रदेशावगाही परमाणुसंघात अनानुपूर्वी तथा दो आकाशप्रदेशावगाही व्यणुकादि स्कन्ध क्षेत्रापेक्षा अवक्तव्यक है । तीन आकाशप्रदेशावगाही अनेक स्कन्ध 'आनुपूर्वियां' इस बहुवचनान्त पद के वाच्य हैं, एक एक आकाशप्रदेशावगाही अनेक परमाणुसंघात 'अनानुपूर्वियां' पद के तथा द्वि आकाशप्रदेशावगाही व्यणुक आदि अनेक द्रव्यस्कन्ध 'अवक्तव्यक' पद के वाच्य हैं । अथवा त्रिप्रदेशावगाढस्कन्ध और एक प्रदेशावगाढस्कन्ध एक आनुपूर्वी और एक अनानुपूर्वी है । इस प्रकार द्रव्यानुपूर्वी के पाठ की तरह छब्बीस भंग यहाँ भी जानना । समवतार क्या है ? नैगम-व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वी द्रव्यों का समावेश कहाँ होता है ? क्या आनुपूर्वी द्रव्यों में, अनानुपूर्वी द्रव्यों में अथवा अवक्तव्यक द्रव्यों में समावेश होता है ? आनुपूर्वी द्रव्य आनुपूर्वी द्रव्यों में ही समाविष्ट होते हैं । इस प्रकार तीनों स्व-स्व स्थान में ही समाविष्ट होते हैं । अनुगम क्या है ? नौ प्रकार का है । यथा [११५] सत्पदप्ररूपणता, द्रव्यप्रमाण, क्षेत्र, स्पर्शना, काल, अंतर, भाग, भाव और अल्पबहुत्व । [११६] सत्पदप्ररूपणता क्या है ? नैगम-व्यवहारनयसंमत क्षेत्रानुपूर्वीद्रव्य हैं या नहीं ? नियमतः हैं । इसी प्रकार अनानुपूर्वी और अवक्तव्यक द्रव्यों के लिये भी समझना । नैगमव्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्य क्या संख्यात हैं, असंख्यात हैं, अथवा अनन्त हैं ? वह नियमतः असंख्यात हैं । इसी प्रकार दोनों द्रव्यों के लिये भी समझना । नैगम-व्यवहारनयसंमत क्षेत्रानुपूर्वी द्रव्य लोक के कितनेवें भाग में रहते हैं ? क्या संख्यातवें भाग में, असंख्यातवें भाग में यावत् सर्वलोक में रहते हैं ? एक द्रव्य की अपेक्षा लोक के संख्यातवें भाग में, असंख्यातवें भाग में, संख्यातभागों में, असंख्यातभागों में अथवा देशोन लोक में रहते हैं, किन्तु विविध द्रव्यों की अपेक्षा नियमतः सर्वलोकव्यापी हैं । नैगमव्यवहारनयसंमत अनानुपूर्वी द्रव्य के विषय में भी यही प्रश्न है । एक द्रव्य की अपेक्षा संख्यातवें भाग में, संख्यात भागों में, असंख्यात भागों में अथवा सर्वलोक में अवगाढ नहीं है किन्तु असंख्यातवें भाग में है तथा अनेक द्रव्यों की अपेक्षा सर्वलोक में व्याप्त हैं । अवक्तव्यक द्रव्यों के लिये भी इसी प्रकार जानना । _ नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्य क्या (लोक के) संख्यातवें भाग का स्पर्श करते हैं ? या असंख्यातवें भाग का, संख्यातवें भागों का अथवा असंख्यातवें भागों का अथवा सर्वलोक का स्पर्श करते हैं ? एक द्रव्य की अपेक्षा संख्यातवें भाग का, यावत् देशोन सर्व

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