Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 12
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

View full book text
Previous | Next

Page 182
________________ अनुयोगद्वार-९७ १८१ द्रव्यों की अपेक्षा विरहकाल नहीं है । नैगम-व्यवहारनयसंमत अनानुपूर्वीद्रव्यों का काल की अपेक्षा अंतर कितना होता है ? एक अनानुपूर्वीद्रव्य की अपेक्षा अन्तरकाल जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल प्रमाण तथा अनेक अनानुपूर्वीद्रव्यों की अपेक्षा अंतर नहीं है । नैगम-व्यवहारनयसंमत अवक्तव्यद्रव्यों का कालोपेक्षया अन्तर कितना है ? एक अवक्तव्यद्रव्य की अपेक्षा अंतर जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अनन्त काल है, किन्तु अनेक द्रव्यों की अपेक्षा अन्तर नहीं है । [९८] भगवन् ! नैगम-व्यवहारनयसंमत समस्त आनुपूर्वीद्रव्य शेष द्रव्यों के कितनेवें भाग हैं ? क्या संख्यात भाग हैं ? असंख्यात भाग हैं अथवा संख्यात भागों या असंख्यात भागों रूप हैं ? आनुपूर्वीद्रव्य शेष द्रव्यों के नियमतः असंख्यात भागों रूप हैं । नैगमव्यवहारनयसंमत अनानुपूर्वीद्रव्य शेष द्रव्यों के कितने भाग होते हैं ? क्या संख्यात भाग होते हैं ? असंख्यात भाग होते हैं ? संख्यात भागों रूप होते हैं ? अथवा असंख्यात भागों रूप होते हैं ? अनानुपूर्वीद्रव्य शेष द्रव्यों के असंख्यात भाग ही होते हैं । अवक्तव्य द्रव्यों संबन्धी कथन भी असंख्यात भाग जानना ।। [९९] नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य किस भाव में वर्तते हैं ? क्या औदयिक भाव में, औपशमिक भाव से, क्षायिक भाव में, क्षयोपशमिक भाव में, पारिणामिक भाव में अथवा सान्निपातिक भाव में वर्तते हैं ? समस्त आनुपूर्वीद्रव्य सादि पारिणामिक भाव में होते हैं । अनानुपूर्वीद्रव्यों और अवक्तव्यद्रव्यों भी सादिपारिणामिक भाव में हैं । [१००] नैगम-व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वीद्रव्यों, अनानुपूर्वीद्रव्यों और अवक्तव्यद्रव्यों में से द्रव्य, प्रदेश और द्रव्यप्रदेश की अपेक्षा कौन द्रव्य किन द्रव्यों की अपेक्षा अल्प, अधिक, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! द्रव्य की अपेक्षा नैगम-व्यवहारनयसम्मत अवक्तव्यद्रव्य सबसे स्तोक हैं, अवक्तव्यद्रव्यों की अपेक्षा अनानुपूर्वीद्रव्य, द्रव्य की अपेक्षा विशेषाधिक हैं और द्रव्यापेक्षा आनुपूर्वीद्रव्य अनानुपूर्वी द्रव्यों से असंख्यातगुणे होते हैं । प्रदेश की अपेक्षा नैगम-व्यवहारनयसंमत अनानुपूर्वीद्रव्य अप्रदेशी होने से सर्वस्तोक हैं, प्रदेशों की अपेक्षा अवक्तव्यद्रव्य अनानुपूर्वी द्रव्यों से विशेषाधिक और आनुपूर्वीद्रव्य अवक्तव्य द्रव्यों में अनन्तगुणे हैं । द्रव्य और प्रदेश से अल्पबहुत्व नैगम-व्यवहारनयसम्मत अवक्तव्यद्रव्य-द्रव्य की अपेक्षा सबसे अल्प हैं । द्रव्य और अप्रदेशार्थता की अपेक्षा अनानुपूर्वीद्रव्य विशेषाधिक हैं, प्रदेश की अपेक्षा अवक्तव्यद्रव्य विशेषाधिक है, आनुपूर्वीद्रव्य द्रव्य की अपेक्षा असंख्यातगुण और वही प्रदेश की अपेक्षा अनन्तगुण हैं | [१०१] संग्रहनयसम्मत अनौपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी क्या है ? वह पांच प्रकार की है। -अर्थपदप्ररूपणता, भंगसमुत्कीर्तनता, भंगोपदर्शनता, समवतार, अनुगम । [१०२] संग्रहनयसम्मत अर्थपदप्ररूपणता क्या है ? वह ईस प्रकार है-त्रिप्रदेशिक स्कन्ध, चतुष्प्रदेशी स्कन्ध, यावत् दसप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी है, संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी है, असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी है, अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी है । परमाणुपुद्गल अनानुपूर्वी हैं और द्विप्रदेशिक स्कन्ध अवक्तव्यक है । [१०३] संग्रहनयसम्मत इस अर्थपदप्ररूपणता का क्या प्रयोजन है ? ईसके द्वारा संग्रहनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता की जाती है । संग्रहनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता क्या है ?

Loading...

Page Navigation
1 ... 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242