Book Title: Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai

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Page 1476
________________ HORO55555555555555554 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) प्र.अ. [२] 5555555558XON 2SC历历乐乐乐乐%%%$$$$$乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听玩乐 तिविहे णेए, घोरूग्गुग्गतरे तहा ।।५।। घोरं चउव्विहा माया, घोरूगं माणसंजुया । माया लोभो य कोहो य, घोरूग्गुग्गयरं मुणे ॥६॥ सुहुमबायरभेएणं, सप्पभेयपिमं मुणी। अइरा समुद्धरे खिप्पं, ससल्लो णो वसे खणं ||७|| खुड्डलगित्ति अहिपोए, सिद्धत्थयतुल्ले सिही। संपलग्गे खयं णेइ, णवि पुढे विजोडई ||८|| एवं तणुतणुयरं, पावसल्लमणुद्धियं । भवभवंतरकोडीओ, बहुसंतावपदं भवे ॥९॥ भयवं ! सुदुद्धरे एस, पावसाले दुहप्पए । उद्धरिऽपि ण याणंती, बहवे जहमुद्धरिज्जइ ॥३०|| गायम ! निम्मूलमुद्धरणं, निययमेतस्सभासियं। सुदुद्धरस्साविसल्लस्स, सव्वंगोवंगभेदिणो॥१॥ सम्मदंसणं पढ़मं, सम्मं नाणं बिइज्जियं। तइयं च सम्मचारित्तं, एगभूयमिमं तिगं ॥२॥ खेत्तीभूतेवि जे जित्ते (जीए), जे गूढेऽदसणं गए। जे अत्थीसुंठिए केई, जेऽत्थिमज्झ (ब्भं) तरं गए।॥३सव्वंगोवंगसंखुत्ते, जे सब्भंतरबाहिरे। सल्लंति जेण सल्लंती, ते निम्मूले समुद्धरे ॥४॥ हयं नाणं कियाहीणं, हया अन्नाणतो किया। पासंतो पंगुलो दड्डो, धावमाणो य अंधओ।।५।। संजोगसिद्धी अउ गोयमा ! फलं, नहु एगचक्केण रहो पयाइ। अंधोय पंगू य वणे समिचचा, ते संपउत्ता नगरं पविठ्ठा ॥६|| नाणं पयासयं सोहओ तवो संजमो य गुत्तिकरो। तिण्हंपि समाओगे गोयम ! मोक्खो न अण्णहा ||७|| ता णीसल्ले भवित्ताणं, सव्वसल्लविवज्जिए। जे धम्ममणुचेटेज्जा, सव्वभूयऽप्पकंपिवा ॥८॥ तस्स तज्जम (तं स) फलं होज्जा, जम्मजमंतरेसुवि विउला सय (म्प) रिद्धी य, लभेज्जा सासयं सुहं ।।९।। सल्लमुद्धरिउकामेणं, सुपसत्थे सोहणे दिणे। तिहिकरणमुहुत्ते नक्खत्ते, जोगे लग्गे ससीबले ॥४०|| कायव्वायंबिलक्खमणं, दस दिणे पंचमंगलं । परिजवियव्वऽठसयं (यहा), तदुवरिं अठ्ठमं करे॥१|| अठ्ठमभत्तेण पारित्ता, काऊणायंबिलं तओ। चेझ्य साहू य वंदित्ता, करिज्ज खंतमरिसियं ।।२।। जे केइ दुट्ठ संलत्ते, जस्सुवरिं दुट्ठ चिंतियं । जस्स य दुट्ठ कयं जेणं, पडिदुर्व्ह वा कयं भवे ||३|| तस्स सव्वस्स तिविहेणं, वायां मणसा य कम्मणा । णीसल्लं सव्वभावेणं, दाउं मिच्छामिदुक्कडं ||४|| पुणोवि वीरागाणं, पडिमाओ चेइयालए। पत्तेयं संथुणे वंदे, एगग्गो भत्तिनिब्भरो॥५|| वंदित्तु चेइए सम्मं, छठ्ठभत्तेण परिजवे । इमं सुयदेवयं विज, लक्खहा चेइयालए ॥६॥ उवसंतो सव्वभावेणं, एगचित्तो सुनिच्छिओ । आउत्तो अव्ववक्खित्तो, रागरइअरइवज्जिओ ॥४७।। अउम्णअम्ओ क्उठ्अबउद्धईण्अम् अउम्णअमओ प्अय्आण्उस्आईण्अम् अउम्ण्अम्ओ स्अम्भइण्णसउईण्अम् अउम्ण्अम्ओ ईआसवलद्धईण्अम् अउम्णम्ओ सव्वउसहिलद्धईण्अम् अउम्ण्अम्ओ अक्खईण्अम्अह्आणस्अलद्धईण्अम् अउम्ण्अम्ओ भगवओ अरहओ महइमहावीरवद्धमाणस्स धम्मतित्थंकरस्स अउम्णम्ओ भगवओ अउड्ण्आ णस्स अउम्णम्ओभवगओमणपज्जवण्आणस्स अउम्णम्ओ अअआउअम् अआउअम् णम्ओ आऊअभिवत्तीलक्खणं सम्मंइंसणं अउअम्णम्ओ अट्ठआरस्असईलअम्गसहस्साहिछियस्स ईस्अम्ग ण्इण्णइय्आण ईसल्ल सयसल्लगत्तण सव्वदुक्खणिम्महणपरमनिव्वुईकारस्सणं पवयणस्स परमपवित्तुत्तमस्सेति ॥४|| एसा विज्जा सिद्धतिएहिं अक्खरेहिं लिखिया, एसा य सिद्धतिया लिवी अमुणियसमयसब्भावाणं सुधरेहिं ण पण्णवेयव्वा तहय कुसीलाणं च ॥५॥ इमाए पवरविज्जाए, सव्वहा उ अत्ताणगं । अहिमंतेऊण सोविज्जा, खंतो दंतो जिइंदिओ।॥४८॥णवरं सुहासुहं सम्मं, सुविणगं समवधारए। जं तत्थ सुविणगं (गे) पासे, तारिसगं तं तहा भवे ॥९॥ जइ णं सुंदरगं पासे, सुमिणगं तो इमं महा। परमत्थतत्तसारत्थं, सल्लुद्धरणं मुणेतुणं ॥५०॥ देज्जा आलोयणं सुद्धं, अठ्ठमयठाणविरहिओ। रं (भ) जंतो धम्मतित्थयरे, सिद्धे लोगग्गसंठिए॥१|| आलोएत्ताण णीसल्लं, सामण्णेण पुणोविय । वंदित्ता चेइए साहू, विहिपुव्वेण खमावए ||२|| खामित्ता पावसल्लस्स, निम्मूलुद्धरणं पुणो ।करेज्जा विहिपुव्वेण, रंजंतो ससुरासुरं जगं ||३|| एवं होऊण निस्सल्लो, सव्वभावेण पुणरवि । विहिपुव्वं चेइए वंदे, खामे साहम्मिए तहा ॥४|| नवरं जेण समं वुच्छो, जेहिं सद्धिं पविहरिओ। खरफुरूसं चोइओजेहिं, सयं वा जो य चोइओ॥५॥ जोऽविय कज्जमपज्जे वा, भणिओखरफरूसनिट्ठरं । पडिभणियं जेणवी किंचि, सोजइ जीवइ जइमओ॥६॥ खमियव्वो सच्च (व्व) भावेण, जीवंतो जत्थ चिठ्ठई। तत्य गंतूण विणएण, मओऽवी साहुसक्खियं ॥७॥ एवं खामणमरिसामणं काउं, तिहुयणस्सविभावओ।सुद्धो मरवइकाएहिं, एयं घोसिज्ज निच्छओ|८|| खमावेमि अहं सव्वे, सव्वे जीवा खमंतु मे। मित्ती मे सव्वभूएसु, वेरं मज्झ ण केणई ॥९|| खमामहंपि सव्वेसिं, सव्वभावेण सव्वहा । भवे भवेसुवि जंतूणं, वाया मणसा य कम्मुणा ॥६०|| एवं वंदिज्जा चेइय, साहू सक्खं विही यऽओ। गुरूस्सावि विही पुव्वं, खामणमरिसामणं करे॥१॥ खमावेत्तुं गुरूं I N ENENENENENENENEEEEEEEEEEE45444444 05明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听CC IAMEdu

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