Book Title: Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai

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Page 1772
________________ 955555555555555555 (४३) उत्तरज्झयणं (चउत्थं मूलसुन) अ. १५, १६ [१४] 55555555555555OOR CISC乐听听听听听听听听听听听听听出明听听听听听听听听明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FOC घोरपरक्कमा ॥५०॥ ४९२. एवं ते कमसो बुद्धा सव्वे धम्मपरायणा । जम्म-मच्चुभउब्विग्गा दुक्खस्संतगवेसिणो॥५१॥ ४९३. सासणे विगयमोहाणं पुव्विं भावणभाविया । अचिरेणेव कालेण दुक्खस्संतमुवागया ॥५२।। ४९४. राया सह देवीए माहणो य पुरोहिओ। माहणी दारगा चेव सव्वे ते परिनिव्वुड ॥५३|| त्ति बेमि॥ ★★★|| उसुयारिज समत्तं ॥१४॥ १५ पण्णरसमं सभिक्खुयं अज्झयणं XXX ४९५. मोणं चरिस्सामि समेच्च धम्मं सहिए उज्जकडे निदाणछिन्ने । संथवं जहेज्ज अकामकामे अण्णाएसी परिव्वए स भिक्खू ॥१।। ४९६. राओवरयं चरेज लाढे विरए वेदवियाऽऽयरक्खिए। पन्ने अभिभूय सव्वदंसी जे कम्हिचि न मुच्छिए स भिक्खू ।।२।। ४९७. अक्कोस-वहं विइत्तु धीरे मुणी चरे लाढे निच्चमायगुत्ते । अव्वग्गमणे असंपहिढे जे कसिणं अहियासए स भिक्खू ।।३।। ४९८. पंतं सयणासणं भइत्ता सीउण्हं विविहं च दंस-मसगं । अव्वग्गमणे असंपहिढे जे कसिणं अहियासए स भिक्खू ।।४।। ४९९. नो सक्कियमिच्छई न पूर्य नो वि य वंदणयं कुओ पसंसं ? । से संजए सुव्वए तवस्सी सहिए आयगवेसए स भिक्खू ।।५।। ५००. जेण पुण जहाइ जीवियं मोहं वा कसिणं नियच्छई। नर-नारिं पजहे सया तवस्सी न य कोऊहलं उवेइ स भिक्खू ॥६।। ५०१. छिन्नं सरं भोम्म अंतलिक्खं सुविणं लक्खण दंड वत्थुविज । अंगवियारं सरस्स विजयं जे विज्जाहिं न जीवई स भिक्खू जि२.मत मुल विविहं वेजचित वमण-विरेयण-धुम-नेत्त-सिणाणं । आतुरे सरणं तिगिच्छियं च तं परिण्णाय परिव्वए स भिक्खू ।।८।। ५०३. खत्तिय-गण-उग्ग रायपुत्ता माहण भोइय विविहा य सिप्पिणो । नो तेसिं वयइ सिलोग-पूयं तं परिन्नाय परिव्वए स भिक्खु ॥९॥ ५०४. गिहिणो जे पल्दइएण दिवा अपव्वइएण व संथुया हवेज्जा । तेसिं इहलोगफलट्ठयाए जो संथवं न करेइ स भिक्खू ॥१०॥ ५०५. संथणासण-पाण-भोयणं विविहं खाइम-साइमं परेसिं । अदए पडिहिए नियंते ने रायनपउस्सती स भिक्खू ॥१॥ ५०६. जं किंचाऽऽहार-पाणं विविहं खाइम-साइमं परेसिं लद्धं । जो तं तिविहेण नाणुकंपे मण-वइपायसुबुडे स भिक्खू ॥१२॥ ५०७. आयामगं चेद जवोयणं च सीयं सोवीर-जवोदगं च । नो हीलए पिंडं नीरसं तु पंतकुलाइं परिव्वए स भिक्खू ॥१३॥ ५०८. सद्दा विविहा भवंति लोए दिव्वा माणुसया तहा तिरिच्छा । भीमा भयभेरवा उराला जे सोच्चा ण वहिज्नई स भिक्खू ॥१४॥ ५०९. वायं विविहं समेच्च लोए सहिए खेयाणुगए स कोवियप्पा । पन्ने अभिभूय सव्वदंसी उवसंते अविहेडए स भिक्खू॥१५॥ ५१०. असिप्पजीवी अगिहे अमित्ते जिइंदिए सव्वओ विप्पमुक्के । अणुक्कसाई लहुअप्पभक्खी चेच्चा गिह एगचरे स भिक्खु ॥१६॥त्ति बेमि || * सभिक्खुयज्झयणं पण्णरसमं समत्तं ॥१५॥ * *१६ सोलसमं बंभचेरसमाहिट्ठाणं अज्झयणं ५११. सुयं मे आउसं ! तेणं भगवया एवमक्खायं इह खलु थेरेहिं भगवंतेहिं दस बंभचेरसमाहिट्ठाणा पन्नत्ता, जे भिक्खू सोच्चा निसम्म संजमबहुले संवरबहुले समाहिबहुले गुत्ते गुत्तिदिए गुत्तबंभयारी सया अप्पमत्ते विहरेज्जा॥१॥५१२. १ कयरे खलु ते थेरेहिं भगवंतेहिं दस बंभचेरसमाहिट्ठाणा पन्नत्ता, जे भिक्खू सोच्चा निसम्म संजमबहुले संवरबहुले समाहिबहुले गुत्ते गुत्तिदिए गुत्तबंभयारी सया अप्पमत्ते विहरेज्जा ? इमे खलु ते थेरेहि भगवंतेहिं दस बंभचेरसमाहिट्ठाणा पन्नत्ता जाव अप्पमत्ते विहरेज्न त्ति । तं जहा २ विवित्ताई सयणासणाई सेविज्जा से निग्गंथे, नो इत्थि-पसु-पंडगसंसत्ताई सयणासणाई सेवित्ता भवति । तं कहमिति ? निग्गंथस्स खलु इत्थि-पसु-पंडगसंसत्ताई सयणासणाइं सवमाणस्स बंभचारिस्स बंभचेरे संका वा कंखा वा विचिगिंछा वा समुप्पज्जेज्जा, भेयं वा लभेज्जा, उम्माथं वा पाउणेज्जा, दीहकालियं वा रोगायक हवेज्जा, केवलिपन्नत्ताओ वा धम्माओ भंसेज्जा । तम्हा नो इत्थि-पसु+ पंडगसंसत्ताई सयणासणाहिं सेवित्ता हवइ से निग्गंथे १ । ३ नो इत्थीणं कहं कहेत्ता भवति से निग्गंथे । तं कहमिति ? निग्गंथस्स खलु इत्थीणं कहं कहेमाणस्स बंभचारिस्स बंभचेरे संका वा कंखा वा वितिगिंछा वा समुप्पज्जेज्जा, भेयं वा लभेज्जा, उम्मायं वा पाउणिज्जा, दीहकालियं वा रोगायंक हवेज्जा, केवलिपन्नत्ताओ वा धम्माओ भंसेज्जा । तम्हा नो इत्थीणं कहं कहेज्जा २। ४ नो इत्थीहिं सद्धिं सन्निसेज्जागए विहरेत्ता हवइ से निग्गंथे । तं कहमिइ ? निग्गंथस्स खलु इत्थीहिं सद्धिं सन्निसेज्जागयस्स विहरमाणस्स बंभचारिस्स बंभचेरे संका वा कंखा वा जाव केवलिपन्नत्ताओ वा धम्माओ भंसेज्जा । तम्हा खलु नो निग्गंथे इत्थीहिं सद्धिं 0555555555555555545555555555555555555555555555555IOR 65555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १६५३555555555555555555555555555GIOR

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