Book Title: Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai

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Page 1802
________________ (४३) उत्तरऽज्झयणं (चउत्थं मूलसुत्त) अ. ३६ [४४] अंतोमुहुत्तं जहन्निया ॥१४९॥। १५९४. संखेज्जकालमुक्कोसं, अंतोमुहुत्तं जहन्निया । तेइंदियकायठिई तं कायं तु अमुचओ || १४२ ।। १५९५. अनंतकालमुक्कासं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं । तेइंदियजीवाणं अंतरेयं वियाहियं ॥ १४३॥। १५९६. एएसिं वण्णओ चेव गंधओ रस फासओ। संठाणादेसओ वा वि विहाणारं सहस्ससो || १४४|| १५९७. चउरिदिया उ जे जीवा दुविहा ते पकित्तिया । पज्जत्तमपज्जत्ता तेसिं भेए सुणेह मे ॥ १४५ ॥ १५९८. अंधिया पोत्तिया चेव मच्छिया मसगा तहा। भमरे कीडपयंगे य ढेंफुणे कुक्कुडे तहा ॥१४६॥ १५९९. कुक्कुडे (? हे) सिगिरीडी य नंदावत्ते य विछिए । डोले भिंगारी य पिरिली अच्छिवेहए || १४७|| १६००. अच्छिले माहए अच्छिरोडए विचित्ते चित्तपत्तए । ओहिंजलिया जलकारी य नीया तंतवगाइया || १४८।। १६०१. इइ चउरिदिया एए णेगहा एवमायओ। लोगस्स एगदेसम्म ते सव्वे परिकित्तिया ॥ १४९ ॥ १६०२. संतई पप्पऽणाईया अपज्जवसिया वि य। ठिडं पडुच्च साईया सपज्जवसिया वि य ।। १५० ।। १६०३. छच्चेव य मासा ऊ उक्कोसेण वियाहिया । चउरिदियआउठिई, अंतोमुहुत्तं जहन्निया ॥ १५१ ॥। १६०४. संखेज्जकालमुक्कोसं, अंतोमुहुत्तं जहन्निया । चउरिदियकायठिई तं कायं तु अचओ ॥ १५२ ।। १६०५. अनंतकालमुक्कोस, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं । चउरिदियजीवाणं अंतरेयं वियाहियं ॥ १५३॥। १६०६. एएसिं वण्णओ चेव गंधओ रस. फासओ। संठाणादेसओ वा वि विहाणाई सहस्ससो || १५४|| १६०७. पंचिदिया उ जे जीवा चउहा ते वियाहिया । नेरइय तिरिक्खा य मणुया देवा य आहिया || १५५ || १६०८. नेरइया सत्तविहा पुढवीसू सत्तसू भवे। रयणाभ सक्कराभा वालुयामा य आहिया ।। १५६ ।। १६०९. पंकाभा धूमाभा तमा तमतमा तहा । इइ नेरइया एए सत्ता परिकित्तिया ||१५७|| १६१०. लोगस्स एगदेसम्मि ते सव्वे उ वियाहिया । एत्तो कालविभागं तु तेसिं वोच्छं चउव्विहं ॥ १५८॥ १६११. संत पप्पऽणाईया अपज्जवसिया विय। ठियं पडुच्च साईया सपज्जवसिया विय ॥ १५९ ॥ १६१२. सागरोवममेगं तु उक्कोसेण वियाहिया । पढमाए, जहन्नेणं दसवाससहस्सिया ॥१६०॥ १६१३. तिण्णेव सागरा ऊ उक्कोसेण वियाहिया । दोच्चाए, जहन्नेणं एगं तू सागरोवमं || १६१|| १६१४. सत्तेव सागरा ऊ उक्कोसेण वियाहिया । तइयाए, जहन्नेणं तिन्नेव सागरोवमा ।। १६२ ।। १६१५. दस सागरोवमा ऊ उक्कोसेण वियाहिया । चउत्थीए, जहन्त्रेणं सत्तेव उ सागरोवमा ॥ १६३॥। १६१६. सत्तरस सागरा ऊ उक्कोसेण वियाहिया। पंचमाए, जहन्त्रेणं दस चेव उ सागरोवमा || १६४|| १६१७. बावीस सागरा ऊ उक्कोसेण वियाहिया । छट्टीए, जहनेणं सत्तरस सागरोवमा ॥१६५॥ १६१८. तेत्तीस सागरा ऊ उक्कोसेण वियाहिया। सत्तमाए, जहन्त्रेणं बावीसं सागरोवमा || १६६ ।। १६१९. जा चेव य आउठिई नेरइयाणं वियाहिया । सा तेसिं कायठिई जहन्नुक्कोसिया भवे || १६७ || १६२०. अनंतकालमुक्कोसं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं । विजढम्मि सए काए नेरइयाणं तु अंतरं || १६८|| १६२१. एएसिं वण्णओ चेव गंधओ रस-फासओ। संठाणादंसओ वा वि विहाणाई सहस्ससो ॥१६९ || १६२२. पंचिदियतिरिक्खा ऊ दुविहा ते वियाहिया । सम्मुच्छिमतिरिक्खा ऊ गब्भवक्कंतिया तहा ।। १७० ।। १६२३. दुविहा ते भवे तिविहा जलयरा थलयरा तहा। खहयरा य बोद्धव्वा तेसि भेए सुणेह मे ॥ १७१ ॥ १६२४. मच्छा य कच्छभा या गाहा मगराता । सुंसुमारा य बोद्धव्वा पंचहा जलयराऽऽहिया ।। १७२ ।। १६२५. लोएगदेसे ते सव्वे, न सव्वत्य वियाहिया। एत्तो कालविभागं तु तेसिं वोच्छं चउव्विहं ||१७३|| १६२६. सतई पप्पऽणाईया अपज्जवसिया वि य। ठिई पडुच्च साईया सपज्जवसिया विय ॥ १७४॥ १६२७. एगा य पुव्वकोडी ऊ उक्कोण वियाहिया । आउठिई जलयराणं, अंतोमुहुत्तं जहन्निया ॥ १७५ ॥। १६२८. पुव्वकोडीपुहत्तं तु उक्कोसेण वियाहिया। कायठिई जलयराणं, अंतोमुहुत्तं जहन्निया ॥ १७६ ॥ १६२९. अनंतकालमुक्कोसं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं । विजढम्मि सए काए जलयराणं तु अंतरं ॥ १७७ ।। १६३०. एएसिं वण्णओ चेव गंधओ रस- फासओ । संठाणादेसओ वा वि विहाणाइं सहस्ससो॥१७८॥ १६३१. चउप्पया य परिसप्पा दुविहा थलयरा भवे । चउप्पया चउविहा उ ते मे कित्तयओ सुण || १७९ | १६३२. एगखुरा दुखुरा चेव गंडीपय सणप्पया । हयमाई गोणमाई गयमाई सीहमाइणो || १८० | १६३३. भुओरगपरिसप्पा य परिसप्पा दुविहा भवे । गोहाई अहिमाईया एक्क्का णेगहा भवे ||१८१॥ १६३४. लोएगदेसे ते सव्वे, न सव्वत्थ वियाहिया । एत्तो कालविभागं तु तेसिं वोच्छं चउव्विहं ॥ १८२॥। १६३५. संतई पप्पाईया अपज्जवसिया विय । ठिडं पडुच्च साईया सपज्जवसिया विय ॥ १८३ || १६३६. पलिओवमा उ तिन्नि उ उक्कोसेण वियाहिया । आउठिई थलयराणं, अंतोमुहुत्तं श्री आगमगुणमंजूषा १६८३ Moon ४० प्र NON

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