Book Title: Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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(४१) पिंडनिज्जुत्ति
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तद्दोसी संकमणं गलंत भिस भिन्नदेहे य॥५८३।।-५८३ ६२६) पाउयदुरुढपडणं बद्धे परियाव असुइ खिंसा य करछिन्नासुइ खिंसा ते च्चिय पायेऽवि पडणं च। ||५८४||-५८४६२७) आयपरोभयदोसा अभिक्खगहणंमभि खोभण नपुंसे लोगदुगुंछा संका एरिसया नूणमेएऽवि॥५८५||-५८५६२८) गुव्विणि गब्भे संघट्टणाई उ उटुंतुवेसमाणीए बालाई मंसुडग मज्जाराई विराहेज्जा ॥५८६।।-५८६ ६२९) भुजंती आयमण उदगं छोट्टीय लोगगरिहा य घुसुलंती संपत्ते करंमि लित्ते भवे रसगा ।।५८७||-५८७ ६३०) दगबीए संघट्टण पीसणकं डदल भज्जणे डहणं पिंजंत रुंचणाई दिन्ने लित्ते करे उदगं ।।५८८।।-५८८ ६३१) लोणदगअगणिवत्थीफलाइमच्छाइ सजिय हत्थंमि पाएणोगाहणया संघट्टण सेसकाएणं ।।५८९||-५८९६३२) खणमाणी आरभए मज्जइ धोयइ व सिंचए किंचि छेयविसारणमाई छिदइ छठे फुरुफुरंते ।।५९०।-५९०६३३) छक्कायवग्गहत्था केई कोलाइकन्नलइयाई सिद्धत्थगपुप्फाणि य सिरंमि दिन्नाई वजंति ॥५९१||५९१ ६३४) अन्ने भणंति दससुवि एसणदोसेसु नत्थि तग्गहणं तेण न वजं भन्नइ नणु गहणं दायगग्गहणा ॥५९२।।-५९२ ६३५) संसज्जिमम्मि देसे ॥ संसज्जिमदव्वलित्तकरमत्ता संचारो ओयत्तण उक्खिप्पंतेऽवि ते चेव ॥५९३||-५९३६३६) साधारणं बहूणं तत्थ उ दोसा जहेव अणिसिढे चोरियए गहणाई भयए सुण्हाइ वा दंते ॥५९४||-५९४ ६३७) पाहुडिठवियगदोसा तिरिउड्ढमहे तिहा अवायाओ धम्मियमाई ठवियं परस्स परसंतियं वावि ।।५९५||-५९५ ६३८) अनुकंपा पडिणीयट्ठया व ते कुणइ जाणमाणोऽवि एसणदोसे बिइओ कुणइ उ असढो अयाणंतो ॥५९६।।-५९६ ६३९) भिक्खमित्ते अवियालणा उ बालेण दिज्जमाणमि संदिढे वा गहणं अइबबहुय वियालणेऽणुन्ना ।।५९७।।-५९७६४०) थेर पहु थरथरते धरिए अन्नेण दढसरीरे वा अव्वत्तमत्तसड्ढे अविभले वा असागरिए ॥५९८||-५९८ ६४१) सुइभद्दगदित्ताई दढग्गहे वेविए जरंमि सिवे अन्नधरियं तु सड्ढो देयंधोऽन्नेण वा धरिए ।।५९९।।-५९९६४२) मंडलपसूतिकुट्ठीऽसागरिए ' पाउयागए अयले कमबद्धे सवियारे इयरे बिढे असागरिए॥६००||-६०० ६४३) पंडग अप्पडिसेवी वेला थणजीवि इयर सव्वंपि उक्खित्तमणावाए न किंचि लग्गं ठवंतीए॥६०१||-६०१६४४) पीसंती निप्पिढे फासुंवा धुसुलणे असंसत्तं कत्तणि असंखचुन्नं चुन्नं वा जा अचोक्खलिणी॥६०२।।-६०२६४५) उव्वदृणिऽसंसत्तेण वावि अट्टील्लए न धट्टेइ पिंजणपमद्दणेसु य पच्छाकम्मं जहा हिं नत्थि ॥६०३।।-६०३ ६४६) सेसेसु य पडिवक्खो न संभवइ कायगहणमाईसु पडिवक्खस्स अभावे नियमा उ भवे तयग्गहणं ॥६०४।।-६०४६४७) सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग उम्मीसगंमि चउभंगो आइतिए पडिसेहो चरिमे भंगंमि भयणा उ॥६०५||-६०५ ॥ ६४८) जह चेव य संजोगा कायाणं हेट्टओ य साहरणे तह चेव य उम्मीसे होइ विसेसो इमो तत्थ ॥६०६||-६०६६४९) दायव्वमदायव्वं च दोऽवि दव्वाइं देइ मीसेउ ओयणकुसुणाईणं साहरण तयन्नहिं छोढुं ॥६०७||-६०७६५०) तंपिय सुक्के सुक्कं भंगा चत्तारि जह उ साहरणो अप्पबहुएऽवि चउरो तहेव आइन्नऽणाइन्ने ॥६०८।।-६०८६५१) अपरिणयंपिय दुविहं दव्वे भावे य दुविहमेक्केक्कं दव्वंमि होइ छक्कं भावंमि य होइ सज्झिलगा।॥६०९||-६०९६५२) जीवत्तंमि अविगए अपरिणयं परिणयं गए जीवे दिटुंतो दुद्धदही इय अपरिणयं परिणयं तं च ॥६१०||-६१०६५३) दुगमाई सामन्ने जइ परिणमई उ तत्थ एगस्स देमित्ति न सेसाणं अपरिणयं भावओ एयं ||६११||-६११६५४) दुगमाई सामन्ने जइ परिणमई उ तत्थ एगस्स देमित्ति न सेसाणं अपरिणयं भावओ एयं ॥६११||-६११६५५) घेत्तव्वमलोवकर्ड लेवकडे मा हु पच्छकम्माई न य रसगेहिपसंगो इअ वुत्ते चोयगो भणइ ।।६१३।।-६१३६५६) जइ पच्छकम्मदोसा हवंति मा चेव भुंजऊ सययं तवनियमसंजमाणं चोयगहाणी खमंतस्स ॥६१४||-६१४६५७) लित्तंति भाणिऊणं छम्मासा हायए चउत्थं तु आयंबिलस्स गहणं असंथरे अप्पलेवं तु॥६१५||६१५६५८) आयंबिलपारणए छम्मास निरंतरं तु खविऊणं जइ न तरइ छम्मासे एगदिणूणं तओ कुणउ॥६१६||-६१६६५९) एवं एक्केक्कदिणं आयंबिलपारणं खवेऊणं दिवसे दिवसे गिण्हउ आयंबिलमेव निल्लेवं ॥६१७||-६१७६६०) जइ से न जोगहाणी संपइ एसे व होइ तो खमओ खमणंतरेण आयंबिलं तु नियमं तवं कुणइ ।।६१८||-६१८६६१) हेट्ठावणि कोलसगा सोवीरगकूरभोइणो मणुया जइ तेऽवि जति तहा किं नाम जई न जाविति ॥६१९||-६१९ ६६२) तिय सीयं समणाणं तिय उण्ह गिहीण तेणऽणुन्नायं तक्काईणं गहणं कट्टरमाईसु भइयव्वं ||६२०||-६२०६६३) आहारवहिसेज्जा तिण्णिवि उपहा गिहीण सीएऽवि तेण उ
5 95555 श्री आगमगुणमंजूषा - १६२० ॥5555555$$$$$$50
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