Book Title: Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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(४३) उत्तरज्ज्झयणं (चउत्थं मूलसुत्त) अ. १,२
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चेवडा मे अक्कोसा य वहा य मे । कल्लाणमणुसासंतं 'पावदिट्ठि' त्ति मन्नइ ॥३८॥ ३९. पुत्तो मे भाइ णाइ त्ति साहू कल्लाण मन्नइ । पावदिट्टी उ अप्पाणं सासं दासं व मण्णइ ॥३९॥ ४०. न कोवए आयरियं अप्पाणं पिन कोवए । बुद्धोवघाई न सिया न सिया तोत्तगवेसए ॥४०॥ ४१. आयरियं कुवियं नच्चा पत्तिएण पसायए। विज्झवेज पंजलिउडे वएज्ज न पुणो त्ति य॥४१॥ ४२. धम्मज्जियं च ववहारं बुद्धेहारियं सया। तमायरंतो ववहारं गरहं नाभिगच्छई।४२।। ४३. मणोगयं वक्तगयं जाणित्तायरियस्स उ।तं परिगिज्झ वायए कम्मुणा उववायए ।।४३|| ४४. वित्ते अचोइए निच्चं खिप्पं हवइ सुचोयए। जहोवइ8 सुकयं किच्चाई कुव्वई सया॥४४॥ ४५. नच्चा नमइ मेहावी लोए कित्ती से जायए। हवइ किच्चाणं सरणं भूयाणं जगई जहा॥४५।। ४६. पुज्जा जस्स पसीयंति संबुद्धा पुव्वसंथुया। पसण्णा लाभइस्संति विउलं अट्ठियं सुयं ।।४६।। ४७. स पुज्जसत्थे सुविणीयसंसए मणोरुई चिट्ठइ कम्मसंपया। तवो-समायारि-समाहिसंवुडे महाजुई पंच वयाइं पालिया।।४७।। ४८. स देव-गंधव्व-मणुस्सपूइए चइत्तु देहं मलपंकपुव्वयं । सिद्धे वा हवइ सासए देवे वा अप्परए महिड्ढिए।।४८॥ त्ति बेमि ॥ ॥ विणयसुयऽज्झयणं समत्तं ॥१||★★★२ बिइयं परीसहऽज्झयणं★★★ ४९. सुयं मे आउसं ! तेणं भगवया एवमक्खायं इह खलु बावीसं परीसहा समणेणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेड्या, जे भिक्खू सोच्चा नच्चा जेच्चा अभिभूय मिक्खायरियाए परिव्वयंतो पुट्ठो नो विहन्नेज्जा ॥११॥ ५०. कयरे ते खलु बावीसं परीसहा समणेणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेश्या, जे भिक्खू सोच्चा णच्चा जेवा अभिभूय भिक्खायरियाए परिव्वयंतो पुट्ठो नो विहन्नेज्जा ? इमे ते खलु बावीसं परीसहा समणेणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइया, जे भिक्खू सोच्चा णच्चा जेच्चा अभिभूय मिक्खायरियाए परिव्वयंतो पुट्ठो नो विहन्नेज्जा ? इमे ते खलु बावीसं परीसहा समणेणं भगवया
महावीरेणं कासवेणं पवेइया, जे भिक्खू सोच्चा नच्चा जेच्चा अभिभूय भिक्खायरियाए परिव्वयंतो पुट्ठो नो विहन्नेज्जा, तं जहा दिगिंछापरीसहे १ पिवासापरीसहे म २ सीयपरीसहे ३ उसिणपरीसहे ४ दंस-मसयपरीसहे ५ अचलेपरीसहे ६ अरइपरीसहे ११ अक्कोसपरीसहे १२ वहपरीसहे १३ जायणापरीसहे १४ अलाभपरीसहे )
१५ रोगपरीसहे १६ तणफासपरीसहे १७ जल्लपरीसहे १८ सक्कारपुरक्कारपरीसहे १९ पन्नाणपरीसहे २० अन्नाणपरीसहे २१ दंसणपरीसहे २२ ।।२।। ५१. ॐ परीसहाणं पविभत्ती कासवेणं पवेइया । तं भे झदाहरिस्सामि आणुपुव्विं सुणेह मे ॥३॥ ५२. दिगिंछापरिगए देहे तवस्सी भिक्खु थामवं । न छिदे न छिंदावए न पए न पयावए ।।४।। ५३. कालीपव्वंगसंकासे किसे धमणिसंतए । मायन्ने असण-पाणस्स अदीणमणसो चरे १ ॥५॥ ५४. तओ पुट्ठो पिवासाए दोगुंउ लज्जसंजए। सीओदगं न सेवेज्जा वियडस्सेसणं चरे॥६।। ५५. छिन्नावाएसुपंथेसु आउरे सुपिवासिए। परिसुक्कमुहादीणे तं तितिक्खे परीसहं २ ॥७॥ ५६. चरंतं विरयं लूहं सीयं फुसइ एगया। नाइवेलं मुणी गच्छे सोच्चा णं जिणासासणं ॥८॥ ५७. न मे निवारणं अत्थि छवित्ताणं न विज्नई। अहं तु अग्गिं सेवामि इइ भिक्खू न चिंतए ३ ॥९॥ ५८. उसिणपरितावेणं परिदाहेण तज्जिए || धिंसु वा परितावेणं सायं नो परिदेवए|१०|| ५९. उण्हाभितत्ते मेधावी सिणाणं नो वि पत्थए । गायं नो परिसिंचेज्जा न वीएज्जा य अप्पयं ४ ॥११।। ६०. पुट्ठो य दंस-मसगेहिं समरे व महामुणी । नागो संगामसीसे वा सूरो अभिहणे परं ।।१२।। ६१. न संतसे न वारेज्जा मणं पि न ॥ पओसए। उवेह न हणे पाणे भुंजते मंस-सोणियं ५॥१३॥ ६२. परिजुन्नेहिं वत्थेहिं होक्खामित्त अचेलए। अदुवा सचलए होक्खं इइ भिक्खू न चिंतए॥१४॥ ६३. एगया अचेलए होइ सचले यावि एगया। एयं धम्महियं नच्चा नाणी नो परिदेवए ६ ।।१५।। ६४. गामाणुगामं रीयंत अणगारं अकिंचणं । अरई अणुप्पवेसे तं तितिक्खे परीसहं ।।१६।। ६५. अरई पिट्ठओ किच्चा विरए आयरक्खिए। धम्मारामे निरारंभे उवसंते मुणी चरे७॥१७॥ ६६. संगो एस मणुस्साणं जाओ लोगम्मि इथिओ। जस्स एया परिन्नाया सुकडं तस्स सामण्णं ।।१८।। ६७. एवमादाय मेहावी पंकभूया उ इथिओ। नो ताहिं विनिहन्निज्जा चरेज्जऽत्तगवेसए ८ ॥१९|| ६८. एग एव चरे लाढे अभिभूय परीसहे। गामे वा नगरे वा वि निगमे वा रायहाणिए ॥२०॥ ६९. असमाणो चरे भिक्खू नेय कुज्जा परिग्गहं । असंसत्तो गिहत्थेहिं अणिएओ परिव्वए ९ ॥२१|| ७०. सुसाणे सुन्नगारे वा रुक्खमूले व एगओ। अकुक्कुओ निसीएज्जा न य वित्तसए परं ।।२२।। ७१. तत्थ से अच्छमाणस्स उवसग्गाऽभिधारए। संकाभीओ
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